बीते तीन दिनों से हो रही भारी बारिश ने उत्तर बिहार की नदियों को उफान पर ला दिया है। कोसी, कमला, गंडक, बूढ़ी गंडक, सिकरहना और बागमती समेत सभी प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे उत्तर बिहार के आठ जिलों के 31 प्रखंडों में दहशत का माहौल है। जल संसाधन विभाग और जिला प्रशासन पूरी तरह से हाई अलर्ट पर हैं, और तटबंधों की 24 घंटे निगरानी की जा रही है। सुरक्षा के लिए सामुदायिक किचन और नावों की व्यवस्था भी की गई है। लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जा रही है।
पूर्वी चंपारण में बाढ़ का खतरा बढ़ते देख प्रशासन ने 29 सितंबर तक सभी स्कूल बंद कर दिए हैं। जयनगर में कमला नदी खतरे के निशान से 75 सेमी ऊपर बह रही है, जिससे आसपास के गांवों में पानी घुस गया है। तटबंधों पर कटाव का खतरा भी बढ़ गया है। झंझारपुर में कमला-बलान नदी खतरे के निशान से सवा दो मीटर ऊपर बह रही है, जिससे बाढ़ का संकट गहरा गया है।
सीतामढ़ी जिले में बागमती और लालबकेया नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। बागमती नदी एक से ढाई मीटर तक ऊपर बह रही है, जबकि लालबकेया नदी भी लाल निशान को पार कर चुकी है। सुपौल जिले के पांच प्रखंडों में कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से सौ गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। तटबंध के अंदर स्थित स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया है।
हालांकि, राहत की बात यह है कि नेपाल से पानी की रफ्तार कुछ कम हुई है, जिससे बांधों की सुरक्षा पर कुछ समय के लिए राहत मिली है। वहीं, वाल्मीकिनगर से छोड़ा गया पानी बेतिया और अन्य निचले इलाकों में पहुंचने की संभावना है, जिससे बाढ़ का संकट और गहरा सकता है। जिला प्रशासन तटबंधों की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है।