GAYA : टनकुप्पा गांव, जो कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता था, आज एक नई पहचान बना रहा है। यह वही गांव है, जहां 2002 में नक्सलियों ने थाना भवन को बम से उड़ा दिया था। बावजूद इसके, इस गांव ने कई प्रेरणादायक कहानियां दी हैं। इन्हीं में से एक नाम है मनोज बिहारी वर्मा, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों को पार करते हुए लाइबेरिया गणराज्य में भारतीय राजदूत बनने का गौरव हासिल किया है।
मनोज बिहारी वर्मा, टनकुप्पा गांव के किसान रामेश्वर प्रसाद वर्मा और धनवंती देवी के पुत्र हैं। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल में पूरी की और 1985 में शिवराम भारती उच्च विद्यालय से मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद महेश सिंह यादव कॉलेज, गया से इंटरमीडिएट और जगजीवन कॉलेज, बोधगया से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। बचपन से ही मेधावी रहे मनोज वर्मा को पहली नौकरी कृषि मंत्रालय में मिली।
मनोज बिहारी वर्मा ने 1997 में विदेश मंत्रालय में सेवा शुरू की। उनका कार्यकाल कई देशों में महत्वपूर्ण पदों पर रहा है। उन्होंने सऊदी अरब, रूस, अमेरिका, सूडान और माली समेत कई देशों में भारतीय मिशन में अपनी जिम्मेदारियां निभाईं। वर्तमान में वह तंजानिया के दार एस सलाम में भारतीय उच्चायुक्त के रूप में कार्यरत हैं।
मनोज बिहारी वर्मा को लाइबेरिया गणराज्य में भारतीय राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया है। वह 6 जनवरी 2025 को अपना पदभार ग्रहण करेंगे। इससे पहले, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र विभाग, पाकिस्तान-अफगानिस्तान, और प्रशासन विभाग में भी अहम भूमिकाएं निभाई हैं।
मनोज बिहारी वर्मा का परिवार अब गांव में नहीं रहता, लेकिन उनके गांव के लोग आज भी उनकी उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हैं। उनके भाई भी प्रतिष्ठित पदों पर हैं—विनोद बिहारी वर्मा सीए हैं, प्रेम प्रकाश वर्मा नेशनल हाईवे अथॉरिटी में अकाउंटेंट हैं और आलोक रंजन वर्मा इनकम टैक्स विभाग में कार्यरत हैं।
मनोज बिहारी वर्मा की यह सफलता न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा है। उनका संघर्ष दिखाता है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद दृढ़ निश्चय और मेहनत से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।