बिहार के नालंदा जिले की बेटी गोल्डी कुमारी ने अपनी मेहनत और अद्भुत प्रतिभा से न केवल राज्य बल्कि पूरे देश का नाम रौशन किया है। थाईलैंड में आयोजित विश्व एबिलिटी स्पोर्ट्स युवा खेलों में उन्होंने एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इस उपलब्धि के लिए उन्हें 26 दिसंबर 2024 को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाएगा।
गोल्डी कुमारी की इस सफलता से राज्यभर में खुशी और गर्व का माहौल है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल नालंदा बल्कि पूरे बिहार को गौरवान्वित किया है। गोल्डी की कहानी हजारों युवा एथलीट्स के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
थाईलैंड में चमका बिहार का सितारा
1 से 7 दिसंबर 2024 के बीच थाईलैंड में आयोजित विश्व एबिलिटी स्पोर्ट्स युवा खेल में गोल्डी ने एथलेटिक्स में अपनी ताकत और कौशल का प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण और कांस्य पदक जीते। इस आयोजन का उद्देश्य युवा पैरालंपिक एथलीट्स को अपने हुनर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाने का मौका देना था। गोल्डी की इस सफलता से यह साबित होता है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से कोई भी सपने को हकीकत में बदल सकता है।
बिहार सरकार ने खिलाड़ियों के विकास के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं। नवंबर 2024 में भारतीय महिला हॉकी टीम ने राजगीर हॉकी स्टेडियम में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जीतकर पूरे राज्य का गौरव बढ़ाया। इस टूर्नामेंट ने बिहार को खेल के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित किया।
2025 में बिहार का राजगीर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स मेंस हॉकी टूर्नामेंट, खेलो इंडिया यूथ गेम्स, और पैरा गेम्स जैसे बड़े आयोजनों की मेजबानी करेगा। इसके साथ ही “मशाल” प्रतियोगिता के माध्यम से बिहार सरकार राज्य के करीब 40,000 स्कूलों के 60 लाख से अधिक बच्चों की खेल प्रतिभा को निखारने का प्रयास कर रही है।
राज्य सरकार ने खेल छात्रवृत्ति योजना के तहत प्रतिभाशाली बच्चों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए प्रशिक्षित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले ओलंपिक में बिहार के खिलाड़ी भारत के लिए पदक जीतें।
गोल्डी की सफलता से स्पष्ट है कि बिहार के बच्चे हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। उनके लिए यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उनकी लगन और मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। गोल्डी जैसी प्रतिभाओं को देखकर यह विश्वास होता है कि बिहार का भविष्य उज्ज्वल है।
गोल्डी कुमारी की सफलता केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह बिहार के खेल परिदृश्य में बदलाव और नई उम्मीदों का प्रतीक है। उनकी इस सफलता ने साबित कर दिया है कि बिहार के बच्चे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का परचम लहरा सकते हैं।