हरियाणा के झज्जर जिले के सासरौली गांव के रहने वाले अभय सिंह, जिन्हें लोग अब ‘IITian बाबा’ के नाम से जानते हैं, ने महाकुंभ में शामिल होकर अपने जीवन के सफर को लेकर खुलकर बात की है। आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई कर चुके अभय ने कनाडा में शानदार करियर और मोटी सैलरी को छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया।
अभय ने बताया कि उन्होंने 2019 में कनाडा में नौकरी शुरू की थी, जहां उन्हें 3 लाख रुपये प्रति माह का पैकेज मिलता था। हालांकि, वहां का खर्च भी अधिक था। तीन साल तक कनाडा में काम करने के बाद उन्होंने महसूस किया कि पश्चिमी सभ्यता में सबकुछ केवल सतही है और इसमें गहराई नहीं है। उन्होंने बताया, “पैसे से खुशी नहीं खरीदी जा सकती। बिजनेसमैन के पास पैसा बहुत होता है, लेकिन वे खुश नहीं होते।”
कनाडा से लौटने के बाद अभय ने ट्रैवल फोटोग्राफी, फिल्म मेकिंग और मार्केटिंग में हाथ आजमाया, लेकिन इनसे भी संतुष्टि नहीं मिली। उन्होंने ध्यान और आत्ममंथन के माध्यम से जीवन को समझने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि वह सद्गुरु की क्रिया किया करते थे और खुद को महादेव के प्रति समर्पित कर दिया।
अभय ने खुलासा किया कि पिछले डेढ़ साल से उनका अपने घरवालों से कोई संपर्क नहीं हुआ है। उनके परिवार में उनकी एक बड़ी बहन हैं, जो कनाडा में रहती हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें परिवार की याद नहीं आती, तो उन्होंने कहा, “अब तो सिर्फ महादेव।”
अभय सिंह ने बताया, “मैं न तो संत हूं और न ही साधु। मुझे बैरागी कह सकते हैं, लेकिन मैं किसी गुफा में रहने वाला बाबा नहीं हूं। मैंने हर चीज को अनुभव करके देखा है और उसी से सीखने की कोशिश की है।”
अभय सिंह की यह कहानी दिखाती है कि कभी-कभी जीवन के असली मायने समझने के लिए हमें अपनी सुविधाजनक जिंदगी से बाहर निकलकर आत्ममंथन करना पड़ता है।