कर्तव्य पथ पर बिहार की झांकी इस वर्ष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यह झांकी प्राचीन काल से ज्ञान, मोक्ष और शांति की भूमि रही बिहार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक समृद्धि को बखूबी दर्शाती है। ज्ञानभूमि नालंदा की प्राचीन विरासत, भगवान बुद्ध की अलौकिक मूर्ति, और घोड़ा कटोरा झील जैसे अनूठे प्रयास इसे और खास बनाते हैं।
ज्ञान की भूमि: नालंदा की झलक
बिहार की झांकी नालंदा विश्वविद्यालय की प्राचीन शिक्षा परंपरा को जीवंत करती है। झांकी में नालंदा महाविहार के भग्नावशेषों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है, जो उस गौरवशाली समय के साक्षी हैं जब चीन, जापान और मध्य एशिया से छात्र यहाँ ज्ञान की तलाश में आते थे। आधुनिक काल में, नालंदा विश्वविद्यालय को पुनः वैश्विक शिक्षा के मानचित्र पर स्थापित करने का प्रयास किया गया है। हाल ही में, राजगीर में अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय का लोकार्पण हुआ, जो प्राचीन वास्तुकला और आधुनिक टिकाऊ तकनीकों का बेजोड़ उदाहरण है।
भगवान बुद्ध और शांति का संदेश
झांकी में भगवान बुद्ध की 70 फीट ऊंची अलौकिक मूर्ति, जो राजगीर स्थित घोड़ा कटोरा झील में स्थापित है, ध्यान और शांति का संदेश देती है। एक ही पत्थर से बनी इस भव्य मूर्ति ने इको-टूरिज्म में बिहार को एक नई पहचान दिलाई है। झांकी के अग्रभाग में बोधिवृक्ष को प्रदर्शित कर यह संदेश दिया गया है कि इसी धरती से ज्ञान और शांति का प्रकाश पूरी दुनिया में फैला।
इको-टूरिज्म में नई पहचान: घोड़ा कटोरा झील
घोड़ा कटोरा झील को इको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करना बिहार सरकार का एक अनूठा कदम है। हर साल लाखों पर्यटक इस झील और बुद्ध मूर्ति के दर्शन के लिए आते हैं। यह प्रयास न केवल पर्यटन को बढ़ावा देता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक मिसाल कायम करता है।
नालंदा की प्राचीन विरासत और संरक्षण का प्रयास
नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा के प्रतीक हैं। बिहार सरकार ने इन भग्नावशेषों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए विशेष प्रयास किए हैं। भित्ति चित्रों के माध्यम से झांकी में बिहार की समृद्ध परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर को खूबसूरती से उकेरा गया है।
भविष्य की ओर कदम
झांकी में नवनिर्मित नालंदा विश्वविद्यालय को कार्बन न्यूट्रल और Net Zero कैम्पस के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसका वास्तुशिल्प प्राचीन नालंदा के सारिपुत्र स्तूप, गोपुरम प्रवेश द्वार और पारंपरिक बरामदे की झलक देता है।
बिहार की पहचान: ज्ञान और शांति का संगम
बिहार की झांकी प्राचीन विरासत और आधुनिक विकास के मेल का प्रतीक है। यह झांकी न केवल बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे बिहार ने अपने गौरवशाली अतीत को सहेजते हुए भविष्य के लिए कदम बढ़ाए हैं।
कर्तव्य पथ पर बिहार की झांकी न केवल राज्य की शान बढ़ा रही है, बल्कि यह भी संदेश दे रही है कि ज्ञान, शांति और पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटूट है।