होली के बाद अब श्रद्धालु चैती नवरात्र, चैती छठ और राम नवमी जैसे पावन पर्वों की तैयारियों में जुट गए हैं। चैती नवरात्र इस बार 30 मार्च से कलश स्थापना के साथ आरंभ होगा। ज्योतिषाचार्य पी.के. युग के अनुसार, इस वर्ष नवरात्रि की शुरुआत रेवती नक्षत्र और ऐंद्र योग में हो रही है। विशेष संयोग यह है कि रविवार को नवरात्रि आरंभ होने से मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा, जिसे बेहद शुभ संकेत माना जाता है। इस बार नवरात्रि नौ दिनों के बजाय आठ दिनों की होगी, क्योंकि अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ पड़ रही हैं।
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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैती नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ समय सुबह 6:12 बजे से 10:22 बजे तक रहेगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त 12:01 बजे से 12:50 बजे तक रहेगा। 6 अप्रैल को महानवमी व्रत पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा, जिसमें सुबह 9:40 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र रहेगा और उसके बाद पुष्य नक्षत्र आरंभ होगा।
मां दुर्गा के आगमन और विदाई का विशेष योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, हाथी पर मां दुर्गा का आगमन और विदाई शुभ मानी जाती है, जो उन्नति, समृद्धि और आर्थिक प्रगति का संकेत देता है। इस बार मां दुर्गा की विदाई भी 6 अप्रैल, रविवार को हाथी पर होगी, जिससे इसे और अधिक विशेष माना जा रहा है।
चैती छठ पूजा का आरंभ 1 अप्रैल से
लोक आस्था के पर्व चैती छठ की शुरुआत 1 अप्रैल को नहाय-खाय के साथ होगी। इस दिन व्रती उपवास का संकल्प लेंगे। 2 अप्रैल को खरना के दिन व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देंगे और 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ करेंगे। 3 अप्रैल को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा और 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह कठिन व्रत संपन्न होगा।
चार नवरात्रों की मान्यता
हिंदू धर्म में वर्षभर चार नवरात्रों की परंपरा है—चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ। इनमें आषाढ़ और माघ के नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है, जबकि चैत्र नवरात्र को बासंती नवरात्र और आश्विन नवरात्र को शारदीय नवरात्र के रूप में मनाया जाता है।
मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा तिथियां
• 30 मार्च – शैलपुत्री
• 31 मार्च – ब्रह्मचारिणी
• 1 अप्रैल – चंद्रघंटा
• 2 अप्रैल – कुष्मांडा
• 3 अप्रैल – स्कंदमाता
• 4 अप्रैल – कात्यायनी
• 5 अप्रैल – कालरात्रि
• 6 अप्रैल – महागौरी और सिद्धिदात्री (अष्टमी-नवमी)
• 7 अप्रैल – विजयादशमी
श्रद्धालु इन शुभ पर्वों को लेकर बेहद उत्साहित हैं और तैयारियां जोरों पर हैं। नवरात्र और छठ पूजा की विधि-विधान से संपन्नता के लिए लोग विशेष अनुष्ठान करने की योजना बना रहे हैं।