नई दिल्ली: वक्फ संशोधन बिल 2025 को राज्यसभा में मंजूरी मिल गई है। लोकसभा में पहले ही पारित हो चुके इस बिल के पक्ष में राज्यसभा में 128 वोट पड़े, जबकि 95 सांसदों ने इसका विरोध किया। अब यह बिल अंतिम स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।
सरकार का दावा- मुस्लिम समुदाय को होगा लाभ
बिल पारित होने के बाद अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस कानून से किसी भी मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को नुकसान नहीं होगा, बल्कि करोड़ों मुसलमानों को इसका फायदा मिलेगा।
रिजिजू ने सदन में कहा, “वक्फ बोर्ड में यदि सिर्फ मुस्लिम सदस्य होंगे और अन्य धर्मों के लोगों से विवाद होगा तो उसका निपटारा कैसे होगा? यह एक सेक्युलर संस्था होनी चाहिए। वक्फ की संपत्तियों की स्थिति हमेशा बनी रहती है – ‘वंस अ वक्फ, ऑलवेज अ वक्फ’।”
विपक्ष ने जताई आपत्ति, अल्पसंख्यकों के लिए बताया नुकसानदायक
विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध किया। नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सीमित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि 1995 के वक्फ कानून में किए गए संशोधनों में कुछ ऐसे प्रावधान जोड़े गए हैं, जो अल्पसंख्यकों के हित में नहीं हैं।
खड़गे ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट पहले 4000 करोड़ रुपये था, जिसे घटाकर 2800 करोड़ रुपये कर दिया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं को बंद कर दिया है।
विपक्षी दलों की एकजुटता
विपक्षी दल जो लोकसभा चुनाव और राज्यों में चुनावी गठबंधन में बंटे हुए नजर आए थे, वे इस बिल पर एकजुट हो गए। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने एक स्वर में वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया।
विश्लेषकों का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में मुस्लिम समुदाय के समर्थन को देखते हुए विपक्ष ने एक मजबूत रुख अपनाया है। इस चुनाव में एनडीए को केवल 8% मुस्लिम वोट मिले, जबकि INDIA गठबंधन को 65% मुस्लिम वोट मिले। यही वजह है कि विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ एकजुट रुख अपनाया।
अब सभी की नजरें राष्ट्रपति की मंजूरी पर टिकी हैं, जिसके बाद यह बिल कानून का रूप लेगा।