तिनसुकिया (असम)। पूर्वी असम के तिनसुकिया जिले में छठ पूजा को लेकर चल रहे विवाद पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर दोनों पक्ष आपसी मतभेद सुलझाने में नाकाम रहते हैं, तो इसका असर राज्य की छवि और निवेश पर पड़ेगा। उन्होंने घोषणा की कि पंचायत चुनाव के बाद दो मंत्री तिनसुकिया जाएंगे और दोनों पक्षों से बातचीत कर समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।
छठ पूजा को लेकर यह विवाद तिनसुकिया स्थित ‘ना-पुखुरी’ की ऐतिहासिक जलाशयों की श्रृंखला के किनारे पूजा करने को लेकर है। हिंदी भाषी समुदाय वहां पूजा आयोजन करना चाहता था, जबकि कुछ स्थानीय संगठनों ने इसका विरोध किया। गुरुवार को इस विरोध में उल्फा-स्वतंत्र (Ulfa Independent) के वार्ता-विरोधी गुट ने भी Archaeological Site होने का हवाला देकर पूजा आयोजन का विरोध किया।
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, “मैं चिंतित और दुखी हूं कि दो समुदायों के बीच ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं। यह ठीक नहीं है। मैं दोनों पक्षों से अपील करता हूं कि वे आपसी समझदारी से इस विवाद को सुलझाएं, नहीं तो इससे राज्य में बाहरी निवेशक आने से हिचकेंगे और असम को नुकसान होगा।”
गौरतलब है कि छठ पूजा जलस्रोतों के किनारे की जाती है और शुक्रवार को इसका समापन हुआ। वहीं, इससे पहले 22 मार्च को तिनसुकिया में बिहार दिवस समारोह का भी कई संगठनों ने विरोध किया था, जिसके कारण बीजेपी सरकार को वह कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था।
मुख्यमंत्री के बयान को शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है, ताकि सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे और असम की विकास प्रक्रिया में कोई बाधा न आए।