बिहार में जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की प्रक्रिया को और सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। अब ग्रामीण इलाकों के लोगों को इन प्रमाणपत्रों के लिए प्रखंड कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सरकार की नई व्यवस्था के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर ही यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। पंचायत सरकार भवन में एक अलग काउंटर की व्यवस्था की जा रही है, जहां पंचायत सचिव जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करेंगे।
इस नई व्यवस्था को लागू करने की दिशा में अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय ने पहल शुरू कर दी है। उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपने ही पंचायत क्षेत्र में यह सेवा मिल सके, जिससे समय और धन की बचत हो और उन्हें प्रखंड कार्यालयों की भीड़भाड़ और दलालों से मुक्ति मिल सके।
तीन स्तरों पर होगी प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया
1. जन्म के 30 दिन के भीतर – पंचायत सचिव ही प्रमाणपत्र जारी करेंगे।
2. एक माह से एक वर्ष के भीतर – प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी की अनुशंसा पर प्रमाणपत्र जारी होगा।
3. एक वर्ष के बाद – ब्लॉक विकास पदाधिकारी (बीडीओ) की अनुशंसा आवश्यक होगी।
पंचायत भवनों में लगेंगे शिविर, बच्चों के प्रमाणपत्र पर विशेष जोर
निदेशालय के अनुसार, पूरे राज्य की ग्राम पंचायतों में विकास शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इन शिविरों में उन बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र बनवाने पर विशेष फोकस किया जा रहा है, जिनका प्रमाणपत्र अब तक नहीं बना है। इसे अभियान के तौर पर चलाया जा रहा है।
पहले क्या थी व्यवस्था
पहले यह प्रमाणपत्र प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी द्वारा जारी किए जाते थे। लेकिन इस प्रणाली में कई समस्याएं सामने आईं। लोगों को लंबी दूरी तय कर प्रखंड कार्यालय जाना पड़ता था, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती थी। साथ ही, कार्यालयों में स्टाफ की कमी और भीड़ की वजह से प्रमाणपत्र जारी करने में देरी होती थी। दलालों की बढ़ती सक्रियता ने भी लोगों को परेशान किया।
शहरी क्षेत्रों में भी बदलाव की मांग
शहरी क्षेत्रों में प्रमाणपत्र जारी करने की जिम्मेदारी अभी भी नगर निकायों के अंतर्गत रजिस्ट्रार के पास है, लेकिन वहां भी लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विशेषकर पटना, जहां हर वर्ष औसतन दो लाख से अधिक जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाते हैं, वहां अक्टूबर से जनवरी के बीच स्कूली दाखिले के कारण भारी संख्या में आवेदन आते हैं।
राज्य सरकार से मंजूरी की प्रक्रिया अंतिम चरण में
अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय के निदेशक विद्यानंद सिंह के अनुसार, इस प्रस्ताव को राज्य सरकार के समक्ष भेजा जा रहा है, ताकि इसे शीघ्र स्वीकृति मिल सके और पूरे राज्य में पंचायत स्तर पर यह सुविधा नियमित रूप से शुरू हो जाए।