राज्य में लगातार बढ़ते प्रदूषण और कचरा प्रबंधन में विफलता के चलते राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाया है। उन्हें 15 मार्च को एनजीटी को बताना होगा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली-2016 के पालन के लिए राज्य में क्या प्रयास किए गए। मुख्य सचिव की एनजीटी में पेशी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित आधा दर्जन विभागों के हाथ-पांव फुला दिए हैं। इसी क्रम में पटना सहित राज्यभर में पॉलीथिन को लेकर छापेमारी कराई गई है।

Pic by Madhav Kumar

एनजीटी गंदगी के कारण पर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को लेकर बेहद गंभीर है। तीन स्तर पर इसकी निगरानी का तंत्र विकसित किया गया है। रीजनल स्तर पर कोलकाता बेंच से मॉनिटरिंग की जा रही है। वहीं अब राज्य स्तर पर भी टास्क फोर्स गठित किया गया है। इसकी कमान पूर्व जस्टिस सोमेंद्र कुमार को सौंपी गई है। इसमें नगर विकास एवं आवास, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज सहित कई विभागों के प्रधान सचिव को सदस्य बनाया गया है। बीते एक सप्ताह से अधिक समय से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित आधा दर्जन विभाग यह मसौदा तैयार करने में जुटे हैं कि अभी तक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली-2016 के अनुपालन के लिए क्या-क्या प्रयास किए गए हैं। इनमें पॉलीथिन पर प्रतिबंध के साथ सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी व इससे संबंधित बाइलॉज, हाल में तैयार किया गया निर्माण एवं तोड़फोड़ अपशिष्ट प्रबंधन के ड्राफ्ट, मेडिकल वेस्ट का प्रबंधन सहित अन्य के बारे में बताना होगा।

पॉलीथिन पर प्रतिबंध के बाद शुरूआत में तो पटना सहित अन्य निकायों में थोड़ी सक्रियता दिखी थी। मीडिया में लगातार सुर्खियां बनने के बाद तमाम दुकानदारों ने भी पॉलीथिन रखना बंद कर दिया था किंतु फिर ढील मिलते ही धड़ल्ले से प्रयोग शुरू हो गया। मुख्य सचिव के निर्देश पर बीते दो दिनों में फिर अभियान चलाया गया। 12 मार्च तक राज्य में 2923.97 किलो पालीथिन की धरपकड़ का दावा किया गया है। इसके एवज में 13 लाख 13 हजार 890 रुपए जुर्माना वसूला गया। अकेले पटना में ही 12-13 मार्च को 700 किलो पॉलीथिन जब्त की गई।

Input : Hindustan

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