नालंदा के बिहारशरीफ से एक रोचक खबर सुनने को मिल रही है. आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास मुहावरा का अर्थ का नालंदा जिले में चरितार्थ हुआ है. तभी तो बीती रात बिहारशरीफ शहर में पटना से आई हुई बारात बिना दुल्हन लिए हुए बेरंग खाली हाथ पटना लौट गई.
गौरतलब है कि बिहारशरीफ निवासी सुनील कुमार की पुत्री निशा कुमारी की शादी पटना जिले निवासी मोनू कुमार से हिंदू रीति-रिवाज के हिसाब से तय हुआ था. हिंदू परंपरा अनुसार बीती रात पटना से गाजे-बाजे के साथ चलकर बिहारशरीफ बारात भी आई थी लेकिन बारातियों में शामिल दूल्हा से लेकर सभी बाराती नशे में धुत थे और नशे में धुत होकर बार-बार लड़की के परिजनों से दहेज की मांग कर रहे थे.
बारातियों के द्वारा कभी मंडप पर तो कभी जयमाला के मंडप पर बार-बार दहेज के नाम पर बेइज्जती की जा रही थी. इस हाई वोल्टेज ड्रामे को देख कर या फिर यूं कहें कि अपने पिता की बेइज्जती को देखकर लड़की ने भरी समाज में शादी से इंकार कर दिया. जिसके बाद बाराती और शराती दोनों गुट आपस में भिड़ गए. जिसमें कई लोग जख्मी भी हो गए. फिर क्या दूल्हे को बिना दुल्हन लिए हुए ही खाली हाथ बारातियों के साथ पटना लौट गया.
फिलहाल लड़की के द्वारा किए गए इस बहादुरी के चर्चे पूरे इलाके में हो रहे हैं. नीतीश कुमार के सपने को साकार तो नहीं कर सकी लेकिन उसने ऐसा करके समाज मे एक संदेश जरूर दिया है. लेकिन लड़की ने जो सम्मान अपने पिता को दिया है उससे हर पिता के लिए सम्मान की बात है. लड़की अपनी इज्जत का परवाह किए बिना शादि करने से इनकार कर दी. लड़की को अपना इज्जत से ज्यादा पिता का इज्जत अच्छा लगा. दहेज़ के लिए पिता की बेइज्जती बेटी बर्दाश्त नहीं कर सकी.
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