बाटा इंडिया लिमिटेड को कैरीबैग के पैसे चार्ज करना महंगा पड़ गया है। फोरम ने कंपनी को सेवा में कोताही का दोषी करार देते हुए पैसे लौटाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा गया कि वह तुरंत सामान खरीदने वाले अपने सभी ग्राहकों को मुफ्त में कैरीबैग दें। कोर्ट ने टिप्पणी की है कि अगर कंपनियां सही मायने में ही पर्यावरण कार्यकर्ता हैं तो उन्हें अपने ग्राहकों को मुफ्त में कैरीबैग देना चाहिए। फोरम ने बाटा कंपनी को पेपर कैरीबैग के लिए चार्ज किए गए 3 रुपये लौटाने व मानसिक पीड़ा व उत्पीड़न के लिए 3 हजार रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए। एक हजार रुपये मुकदमा खर्च देने के निर्देश भी दिए गए हैं। साथ ही कंपनी को राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग चंडीगढ़ के सेक्रेटरी के नाम पर कंज्यूमर लीगल ऐड अकाउंट में 5 हजार रुपये भी जमा करवाने के निर्देश दिए हैं।

ये था मामला

सेक्टर-23 बी चंडीगढ़ निवासी दिनेश प्रसाद रतूड़ी ने फोरम में सेक्टर-22डी स्थित बाटा इंडिया लिमिटेड के खिलाफ शिकायत दी थी। शिकायत में उन्होंने बताया कि 5 फरवरी 2019 को वह बाटा कंपनी की शॉप पर शूज खरीदने के लिए गए थे। उन्होंने अपने पसंद के शूज चुन लिए और इसके लिए कंपनी की ओर से 402 रुपये का बिल बनाया गया। कंपनी के कैशियर ने कैरीबैग में डालकर उन्हें शूज दे दिए, जिस पर बाटा का विज्ञापन भी था।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कस्टमर्स से कैरीबैग के लिए चार्ज करके कंपनी अपना विज्ञापन कर रही थी। इसके चलते ही शिकायतकर्ता ने फोरम में शिकायत देते हुए कंपनी से कैरीबैग के लिए चार्ज की गई 3 रुपये की राशि वापस लौटाने और सेवा में कोताही के लिए मुआवजा देने की भी मांग की। वहीं, कंपनी ने फोरम में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने सेवा में कोई कोताही नहीं बरती। फोरम ने अपने आदेशों में कहा कि कंपनी ग्राहकों को कैरीबैग खरीदने के लिए विवश कर सेवा में कोताही कर रही है।

 

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *