आज मदर्स डे है। मदर यानी मां। ये एक अक्षर संपूर्ण सृष्टि के बराबर माना गया है। वाल्मीकि रामायण में भगवान राम ने कहा है “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि।” यानी मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है। मां शब्द की उत्पत्ति और इसके अर्थ को लेकर कई तरह के मत हैं। अलग-अलग विधाओं ने मां शब्द की व्याख्या की है। कैसे एक अक्षर का यह संबोधन, पूरी सृष्टि का सबसे श्रेष्ठ संबोधन बन गया, जिसमें सम्मान, प्रेम, अपनापन, निष्काम भाव हर वो चीज जिसे आध्यात्म की दृष्टि से अनिवार्य तत्व माना जाता है, वो सारे भाव इस शब्द से जुड़ गए हैं।
संस्कृत व्याकरण कहता है मां, म से बना है। म से मा बना और मा से मां। मा शब्द के संस्कृत में दो अर्थ बताए गए हैं। मा एक अर्थ है मत (करो)। लेकिन मां इस मा अक्षर से नहीं बना है। मा अक्षर का जो सबसे निकटतम अर्थ पुराण बताते हैं, वो है लक्ष्मी। संभवतः इसी मा (लक्ष्मी) से मां बना है। क्योंकि, लक्ष्मी पालन करती हैं, मां भी शिशु का पालन करनी है। इस तरह देखा जाए तो मां लक्ष्मी का ही एक रूप है।
कुछ विद्वान मानते हैं माँ का मतलब मै + आ अर्थात मैं मतलब परमशक्ति और आ का मतलब आत्मा अर्थात माँ , इस तरह माँ ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है जिसके माध्यम से परमेश्वर अपने अंश द्वारा अपनी शक्ति का संचार और विस्तार करता है।
कुछ ग्रंथ मानते हैं कि मां शब्द गोवंश से जुड़ा है। गाय का बच्चा जब पैदा होता है और रंभाता है। उसके स्वर में मां अक्षर का ही नाद होता है। गाय को माता इसी कारण माना गया है। ये एकमात्र जीव है जिसके रंभाने की आवाज में मां स्वर का नाद होता है।
इस सृष्टि में मनु और शतरुपा नाम के दो स्त्री-पुरुषों ने मैथुनी सृष्टि का आरंभ किया है। मनु से मनुज यानी मानव बना। इसी मनु की संतान को जन्म देने वाली शतरुपा को मां कहा गया। जिसने मानव को जन्म दिया, उसे मां कहा गया है।
Input : Dainik Bhaskar