बिना मान्यता नामांकन लेकर 43 हजार छात्रों के कॅरियर से खिलवाड़ करने के आरोप में 18 कॉलेजों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। आरोप है कि उचित संबद्धता प्राप्त नहीं होने के बावजूद इन कॉलेजों ने विभिन्न सत्रों में नामांकन ले लिया। विश्वविद्यालय ने हालांकि उनका रजिस्ट्रेशन भी कर लिया। राजभवन ने अब दोषियों पर सीधी कार्रवाई के आदेश दिए हैं। उनपर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है। कार्रवाई की जद में विश्वविद्यालय के कुछ अफसर भी आ सकते हैं जिनके चलते ये नौबत आई।
उचित संबद्धता प्राप्त नहीं होने के चलते हाईकोर्ट ने नामांकन व रजिस्ट्रेशन दोनों को अमान्य करार दिया था। अब हालांकि, वैसे नामांकित एवं पंजीकृत छात्रों के बारे में सहानुभूति दिखाते हुए राजभवन ने उन के पक्ष में फैसला लिया है। उन छात्रों को उनके नजदीकी अंगीभूत कॉलेजों में टैग किया जाएगा। साथ ही छात्रों द्वारा महाविद्यालयों में नामांकन के समय जमा की गई राशि की भरपाई भी सरकार के स्तर पर करने का फैसला हुआ है।
तीन सत्रों में 43 हजार छात्रों को लगा झटका
राजभवन में बैठक के दौरान इस बाबत लिए गए फैसले की जानकारी विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि जो बातें सामने आई हैं उसके मुताबिक 2016-19 के सत्र मं 11 हजार 751 तथा 2017-20 के सत्र में 8 हजार विद्यार्थियों का नामांकन लिया गया। जिनको विश्वविद्यालय ने पंजीकृत भी कर दिया।
इस प्रकार तीन अलग-अलग सत्रों में कुल 43 हजार ऐसे छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया था। इस बावत बीआरएबीयू परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि प्राथमिक जवाबदेही तो महाविद्यालय की बनती है। इसलिए प्रथम दृष्टया महाविद्यालय ही दोषी प्रतीत होते हैं। राजभवन अब उनपर गंभीर है और उतनी ही कठोरता के साथ कार्रवाई के आदेश भी दिए हैं। इससे पहले जांच में उनकी मनमानी भी सामने आ चुकी है।
Input : Dainik Jagran