भीषण गर्मी में यूं तो हर किसी को बारिश का इंतजार था लेकिन, उत्तर बिहार के लोग अधिक बेसब्र थे। वजह एईएस। शुक्रवार की रात और शनिवार को दिन में हुई बारिश का स्पष्ट प्रभाव अब एईएस पीडि़तों पर देखने को मिल रहा है। लगभग चार हफ्ते बाद शुक्रवार को चमकी-बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला थम गया है जिससे अस्पताल प्रबंधन के साथ ही राज्य सरकार ने भी राहत महसूस की है।

एसकेएमसीएच और केजरीवाल में भर्ती होने वाले नए मरीजों की संख्या कम होकर एक-दो रह गई है।एसकेएमसीएच में गुरुवार को एईएस पीडि़त मोतिहारी का सन्नी कुमार भर्ती हुआ। बुधवार को करजा की सलोनी कुमारी एवं मोतिहारी राजेपुर के सुधांशु कुमार भर्ती हुए थे।

अस्पताल अधीक्षक डॉ. एसके शाही ने कहा कि बारिश होने से तापमान में कमी आई है। इसका सकारात्मक प्रभाव दिख रहा है। यहां पहुंचने वाले पीडि़त बच्चोंं की संख्या में कमी आई है। पीआइसीयू में फिलहाल 23 बच्चे इलाजरत हैं। इसमें छह की हालत गंभीर है।

एसकेएमसीएच के रिकॉर्ड में अब तक एईएस पीडि़त 439 बच्चे इलाज के लिए यहां पहुंचे हैं। इसमें से 293 बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। 111 बच्चों की मौत हो गई। जबकि एक बच्चे को रेफर किया गया। 11 बच्चों के परिजन अपनी मर्जी से बच्चे को लेकर जा चुके हैं।

दिल्ली की दूसरी टीम ने संभाली कमान

केंद्र सरकार के आदेश पर दिल्ली से एसकेएमसीएच पहुंची शिशु रोग विशेषज्ञों एवं पारामेडिकल कर्मियों की प्रथम टीम यहां से चली गई है। वहीं दूसरी टीम ने पहुंच कर योगदान दे दिया है। इसमें 10 चिकित्सक एवं पांच पारामेडिकल कर्मी शामिल हैं। यह टीम पीआइसीयू में भर्ती बच्चों की देखरेख कर रही है।

बीमारी को लेकर विमर्श

दिल्ली, पटना के साथ अन्य जगह से एसकेएमसीएच पहुंची चिकित्सकों की टीम बच्चों के इलाज के साथ-साथ प्रतिदिन बीमारी संबंधी विभिन्न बिंदुओं पर विचार विमर्श भी करती है। इसी कड़ी में पीएमसीई (प्री मेच्योर चाइल्डहुड इंसेफलाइटिस) पर चिकित्सकों ने विमर्श किया। कई अन्य मौसमी बीमारी के संबंध में चर्चा हुई। आरएन ठाकुर सेमिनार कक्ष में किया।

बता दें कि चमकी बुखार से  27 जून तक एईएस से 180 बच्चों की जानें जा चुकी हैं। जबकि 560  मामले सामने आ चुके हैं। अधिकारियों के अनुसार जनवरी से अबतक 605 बच्चे बीमारी से ग्रसित हुए  हैं। उनके अनुसार 132 की ही जान गई है। इसमें एसकेएमसीएच में 111 व केजरीवाल अस्पताल में 21 बच्चों की मौत हुई है।

Input : Dainik Jagran

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