लीची से बच्चों की मौत का कोई लेना-देना नहीं है। हमारी लीची पूरी तरह सुरक्षित और बेहतर है। लीची में भरपूर मात्रा में खनिज, लवण और विटामिन मौजूद है। ऐसा कोई तत्व लीची में मौजूद नहीं है, जिससे एईएस जैसी बीमारी का कोई लेना-देना हो। ये बातें लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी के वैज्ञानिक डॉ. विशाल नाथ ने शुक्रवार को एमबीआरआई में आयोजित महामंथन संगोष्ठी के दौरान कही।

इससे पहले एमबीआरआई व आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम के तहत भगवान जानकी सभागार में संगोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि वह पूरे देश में भ्रमण कर लीची को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों के बारे में लोगों को बता रहे हैं। अफवाह का बाजार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। किसान लीची की अच्छी तरीके से देख भाल करें और रकवा को भी बढ़ाये। कृषि विज्ञान केन्द्र सरैया की कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अनुपमा कुमारी ने लीची को एईएस बीमारी से जोड़ने पर खेद प्रकट करते हुए कहा की हम लगातार किसानों को उनकी लीची बचाने के लिए जागरूक कर रहे है। कार्यक्रम को कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक हेमचंद्र चौधरी, डॉ. सविता कुमारी, आगा खान के नरेंद्र कुमार ने भी संबोधित किया। मौके पर एमबीआरआई के संस्थापक अविनाश कुमार, अभय भूषण चंदेल, नरेंद्र कुमार समेत वैशाली और मुजफ्फरपुर के किसान और व्यापारी बड़ी संख्या में मौजूद थे।

Input : Live Hindustan

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