एनएच 28 पर कांटी स्थित सिद्धपीठ के रूप में विख्यात है। यहां सालोंभर भक्त पूजा के लिए आते रहते हैं। यह मंदिर देश का दूसरा व बिहार का एकमात्र छिन्नमस्तिका माता का मंदिर है। मां के दाएं हाथ में तलवार तथा बाएं हाथ में अपना ही कटा मस्तक है। नवरात्र के दिनों में यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है। देश के कोने-कोने से यहां साधक तंत्र सिद्धि व साधना के लिए आते हैं।

Muzaffarpur Hunt on Twitter: "मां छिन्नमस्तिका देवी मंदिर, कांटी, मुजफ्फरपुर  https://t.co/ekATKlWUiL" / Twitter

प्रत्येक अमावस्या को होने वाली निशा पूजा का विशेष महत्त्व है। श्रद्धालु यहां चुनरी में नारियल बांधकर मंदिर में मन्नत मांगते हैं व मन्नत पूरी होने पर माता के दरबार में उनका धन्वाद करने जरूर आते हैं। नवरात्र को लेकर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना शुरू हो गई है। भक्तों का आना भी लगातार जारी है।

Maa Chhinnamasta (1978) by Timothy Paxton

2003 में हुई थी प्राण-प्रतिष्ठा : मंदिर का भूमि पूजन 2000 में व प्राण प्रतिष्ठा 2003 में हुई। इसमें रजरप्पा से पूजित त्रिशूल स्थापित की गई थी। मंदिर पूरी तरह तंत्र विज्ञान पद्धति पर बना हुआ है। मंदिर का गुम्बज नवग्रह व आठ सीढ़ियां पांच तत्व व तीन गुणों के प्रतीक हैं। मां छिन्नमस्तिका सृष्टि के केंद्र से जुड़ी हुई है। बिंदु वाम स्वरूप व बलि प्रधान होते हुए भी यहां देवी की विशुद्ध वैष्णव रूप की पूजा होती है।

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यह मंदिर अघोर पंथ के होते हुए भी यहां बलि नहीं होती है। यहां वैष्णव रूप में पूजा होती है। मंदिर में साधना का विशेष महत्त्व है। नवरात्र में पूजा व आरतीर से भक्तिमय वातावरण अधिक बना रहता है। मां सबकी इच्छा पूर्ण करती हैं। -महात्मा आनंद प्रियदर्शी ,मंदिर संस्थापक

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