केंद्र ने एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की रोक’थाम के लिए किए गए उपायों का ब्योरा देते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें बताया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है, लेकिन केंद्र ने बीमारी को रोकने में पूरा सहयोग दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लंबित है। इसमें एईएस से सूबे में हुई मौतों का मामला उठाते हुए इलाज की पर्याप्त और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की थी। केंद्र की ओर से बुधवार को दाखिल किए गए जवाब में कहा गया है कि हालात का जायजा लेने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एसकेएमसीएच का दौरा किया है। वह स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के फंड से राज्य सरकार एसकेएमसीएच में बच्चों के लिए 100 बिस्तरों वाली आइसीयू शुरू करेगी। इसके अलावा निकटवर्ती जिलों में बच्चों के लिए 10 बिस्तरों वाली आइसीयू स्थापित की जाएगी। इसके लिए भी पैसा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन फंड से दिया जाएगा। केंद्र ने बताया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के फंड से राज्य के विभिन्न जिलों में पांच वायरोलाजी लैब स्थापित की जाएंगी।
बिहार में एईएस से हुई 153 बच्चों की मौत : स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बुधवार को बताया कि एईएस से 153 बच्चों की मौत हुई है। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
एसकेएमसीएच में एईएस पीड़ित एक और मासूम ने दम तोड़ा
जासं, मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में भर्ती एक और एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) पीड़ित बच्चे की मौत हो गई। वहीं एक मासूम को भर्ती भी किया गया। जितेंद्र कुमार का पुत्र पीयूष कुमार (5) पांच दिन पूर्व सीतामढ़ी से रेफर होकर यहां आया था। उसे वेंटीलेटर पर रखा गया था। बुधवार को उसने दम तोड़ दिया। वह उत्तरप्रदेश का रहने वाला था। वहीं, सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर के जयलाल राय की पुत्री रीना कुमारी (3) को भर्ती किया गया। इधर, पूर्वी चंपारण के सुगौली प्रखंड के रघुनाथपुर गांव के भी एक एईएस पीड़ित बच्चे की मौत हो गई।
Input : Dainik Jagran