भीषण गर्मी में पेयजल संकट के दौरान हर किसी ने सिद्दत से जल संरक्षण की जरूरत को महसूस किया। सरकार और समाज को पोखरों-तालाबों की महत्ता का अंदाजा हुआ। इसके बाद तेजी से गिर रहे भूजल स्तर को रोकने क लिए वर्षा जल संचयन की ओर शासन-प्रशासन का ध्यान गया। तदोपरांत न सिर्फ अंतिम सांस ले रहे पोखरों-तालाबों को बचाने की मुहिम शुरू हुई वरन नए पोखरों के निर्माण को भी सरकार आगे आई है।

आम लोग भी पोखरों-तालाबों को बचाने की मुहिम का हिस्सा बनने को तैयार होते दिख रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पोखरों की उड़ाही व निर्माण को मदद देने का एलान सरकार कर चुकी है। वहीं शहरी क्षेत्र के सभी पोखरों-तालाबों के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव नगर निगम से मांगा गया है। शहर के चार एवं ग्रामीण क्षेत्र के एक पोखर के जीर्णोद्वार की योजना तैयार है। आधा दर्जन पोखरों की उड़ाही की योजना भी जमीन पर उतरने को तैयार है।

मिटते-सिमटते तालाब मौजूदा जल संकट की वजह : क्षणिक फायदे के लिए हम तालाबों को खत्म करते जा जा रहे हैं, लिहाजा आज पीने के लिए पानी को लोग तरस रहे हैं। मिटते- सिमटते तालाब मौजूदा जल संकट की बड़ी वजह है। एक समय था जब शहर हो या गांव, पोखर-तालाब नजर आ जाते थे।

पूर्वजों ने तालाब एवं पोखर के महत्व को समझा था। आने वाली पीढ़ी को जल संकट का सामना नहीं करना पड़े, इसलिए बड़ी संख्या में पोखर-तालाब खुदवाए थे, लेकिन आधुनिक होने के भ्रम में हम पोखर एवं तालाबों को समाप्त करते जा रहे हैं। अधिकांश तालाबों को भरकर उसके अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया। इसका गंभीर परिणाम सामने है। भू-जल स्तर गिर रहा है और हम पानी की तालाश में भटक रहे हैं। लेकिन अब समाज हो या सरकार, सबने इसकी महत्ता को समझा है। इसके जीर्णोद्धार के लिए प्रयास भी शुरू किए हैं।

पोखरों व तालाबों को बचाना सरकार का कर्तव्य : अधिवक्ता संजीव कुमार के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में एक मामले में व्यवस्था देते हुए कहा था कि गुणवत्तापरक जीवन हर नागरिक का मूल अधिकार है। इसको सुनिश्चित करने के लिए सरकार को प्राकृतिक जल निकायों की सुरक्षा करनी चाहिए। कोर्ट के मुताबिक जल निकायों की सुरक्षा इस तथ्य में निहित है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गुणवत्तापरक जीवन के दायरे में जल के अधिकार की गारंटी भी शामिल है।

शहर के सभी पोखरों एवं तालाबों का होगा जीर्णोद्धार : शहर के सभी पोखरों एवं तालाबों का जीर्णोद्धार होगा। पेयजल संकट से निबटने के उपायों को लेकर नगर विकास विभाग की बैठक के बाद प्रधान सचिव ने सभी निकायों को पत्र लिखा है। इसमें वर्षा जल संचय पर सभी को ध्यान देने को कहा गया है। साथ ही शहर के सभी पोखरों एवं कुओं के जीर्णोद्धार की योजना का भी प्रस्ताव मांगा गया है।

सरकार ने नगर निगम से मांगा शहरी क्षेत्र के पोखरों और तालाबों के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव, मनरेगा से ग्रामीण क्षेत्रों में पोखरों-तालाबों के निर्माण तथा जीर्णोद्धार की पहल

तालाबों का सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक महत्व

तालाब की बात होते ही जीवन के सात दशक देख चुके राज किशोर सिंह की आंखें चमक उठीं। बोले, पोखर न सिर्फ हमारी और जमीन की प्यास बुझाता है बल्कि इसका सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक महत्व है। मानसून के चार महीनों में बारिश का पानी इनमें जमा होता था। यह पानी सालों भर लोगों की दिनचर्या का अंग बना रहता था। खेतों की सिंचाई की जाती थी। मवेशियों को नहलाया जाता था। तमाम सामाजिक, सांस्कृतिक गतिविधियां इसी तालाब के किनारे संपन्न हुआ करती थीं। तमाम प्रत्यक्ष लाभों के इतर यह तालाब धरती के गर्भ में इतना पानी रिसा देता था कि शहर एवं गांवों का भूजल स्तर हमेशा बरकरार रहता था। लोग इसमें मछली पालन कर आजीविका चलाते थे। इसकी मिट्टी से कुम्हार एवं मूर्तिकार अपना काम करते थे।

भू-जल में लगातार गिरावट खतरनाक स्तर के पार

सामाजिक कार्यकर्ता रवि कपूर बताते हैं कि पर्यावरण की दृष्टि से पोखरों एवं तालाबों का महत्व है। पोखर बारिश के पानी को संचित कर गर्मी में धरती की प्यास बुझाते थे। इससे हमारी प्यास भी जुड़ी थी। आसमान से आग बरसने पर भूगर्भ जल का स्तर बनाए रखने में पोखर एवं तालाबों का पानी अहम रोल अदा करता था। लेकिन, पोखर एवं तालाबों के समाप्त होने से भू-जल स्तर में लगातार गिरावट हो रही है। सबसे खराब स्थिति शहरी क्षेत्र की है। जहां भू-जल स्तर लगातार गिर रहा है। खतरे के निशान को पार कर गया है। इससे शहर जल संकट की समस्या से जूझ रहा है। सामाजिक संस्थाओं को आगे आना होगा। सरकार के साथ मिलकर पोखर एवं तालाबों को बचाना होगा।

ब्रह्मपुरा  पोखर के जीर्णोद्धार का काम शुरू, की जा रही सफाई

बुडको के माध्यम से शहर के चार पोखरों, तीन पोखरिया, महाराजी पोखर, साहू पोखर एवं ब्रrापुरा पोखर का जीर्णोद्धार होना है। वहीं अन्य सभी पोखरों का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा। – विशाल आनंद, अपर नगर आयुक्त

Input : Dainik Jagran

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