मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शहर से गुजरने वाली बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर खतरे के निशान के पास पहुंच गया है। जलस्तर में वृद्धि लगातार जारी है। खतरे को देखते हुए बांध पर चौकसी बढ़ा दी गई है। नदी से निकलने वाले स्लूस गेट को बंद किया गया है। नदी का जलस्तर 51.53 मीटर है। जबकि खतरे का निशान 52.53 मीटर आंका गया है।

Pic by Madhab Kumar

चूहों के बिल खोजन में छूट रहे पसीने

बूढ़ी गंडक बांध में चूहों के बिल खोजने में विभागीय अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। भय इस बात का है कि अगर समय पर सूराख भरा नहीं गया तो नदियों में पानी का बहाव तेज होने पर तटबंध टूटने का खतरा बढ़ जाएगा। इस बीच बूढ़ी गंडक में मोतीपुर के मोसंडी मठिया गांव में पानी का दवाब बना हुआ है। रोहुआ के पास स्लूस गेट से रिसाव हो रहा था। सूचना मिलने पर विभागीय टीम पहुंची तथा उसको तत्काल बंद करा दिया गया। रिसाव पर काबू पा लिया गया है।

90 स्लूस गेट कराए बंद

बांध में रिसाव के खतरे को देखते हुए बूढ़ी गंडक बांध पर स्थित 90 स्लूस गेट खुले हुए थे। इन्हें तत्काल बंद कर दिया गया है। चौकसी बढ़ा दी गई है। कार्यपालक अभियंता अबरार अख्तर ने बताया कि अभी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है। इसलिए फिलहाल कोई डर नहीं है। बावजूद इसके सभी जगह पर निगरानी की जा रही है। बारिश से हुए कटाव की मरम्मत का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।

24 घंटे कर्मियों का दल बांध पर है। कनीय अभियंता सुनील कुमार एवं अभिषेक कुमार शर्मा की देखरेख में अखाड़ाघाट बांध पर 0 से 18 किलोमीटर के बीच मीनापुर तक युद्ध स्तर पर मरम्मत का काम चल रहा है। ईसी बैग से जगह-जगह पिचिंग की जा रही है। चांद परणा में कटाव स्थल पर स्थिति नियंत्रण में है। इसके लिए विभाग की ओर से बांस के सहारे पीचिंग की गई है। बांध के किनारे झाडिय़ों की सफाई करने के बाद वहां पर पिचिंग का काम चल रहा है।

Input : Dainik Jagran

 

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