सपने पूरे करने की राह में उम्र बाधा नहीं बन सकती। तभी तो सुलेखा ने 40 साल की उम्र में भी अपनी बेटी श्रेया के साथ पटना के मगध महिला कॉलेज में इस शैक्षिक सत्र में अपना नामांकन कराया है। बेटी इसी कॉलेज से जीव विज्ञान विषय से बीए ऑनर्स (द्वितीय वर्ष) की पढ़ाई कर रही है, तो मां हिंदी विषय से बीए ऑनर्स कर रहीं हैं। खास बात यह कि प्रथम वर्ष में होने के कारण मां कॉलेज में अपनी बेटी से जूनियर हैं।

40 की उम्र में फिर शुरू की पढ़ाई

शादी के 25 साल बाद बच्चों की जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर सुलेखा ने उच्च शिक्षा की ललक पूरी करने के लिए 2019 में मगध महिला कॉलेज में नामांकन कराया है। सुलेखा बताती हैं कि इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद 1994 में उनकी शादी वैशाली जिले के सुबोध कुमार सुमन से हुई। शादी के बाद जिम्मेदारियां पढ़ाई में बाधा बन गईं। हालांकि, पारिवारिक झंझावातों के बीच भी पुस्तकों से नाता जोड़े रखा। जब भी मौका मिलता, वे अपने बच्चों की किताबें ही पढ़तीं थीं।

जज्‍बे को सलाम: उम्र 40 पार पर नहीं गई पढ़ने की ललक, अब बेटी संग बीए कर रहीं सुलेखा

जिम्‍मेदारियों के कारण छूट गई थी पढ़ाई

सुलेखा कहती हैं, ‘शादी के बाद शुरू में उन्होंने कॉलेज में नामांकन करा पढ़ाई का प्रयास जरूर किया, पर घरेलू कारणों से कामयाबी नहीं मिल पाई।’ 1996 में बेटे सुमित का जन्म हो गया और 1998 में बेटी श्रेया का। पति सुबोध कुमार सेना में सूबेदार थे, इसलिए घर-बच्चों की जिम्मेदारियां कंधे पर आ गईं तो उन्हें समय ही नहीं मिल पाया।

बेटे-बेटी ने भरवाया फॉर्म, कराया एडमिशन

सुलखा बताती हैं, ‘बच्चों को मेरे सपनों की जानकारी थी, इसलिए बेटे-बेटी ने मिलकर नामांकन फॉर्म भरवाया।’ कॉलेज में नामांकन से लेकर परीक्षा तक की तैयारी बेटे-बेटी ने ही कराई। बेटा इंटरनेट से सवाल निकाल उन्हें सॉल्व कराने में मदद करता था, वहीं बेटी चाय-कॉफी देकर पढ़ाई कराती थी। बच्चों की बदौलत उनका सेकेंड लिस्ट में 46 प्रतिशत के साथ नाम आ गया।

कॉलेज जाने पर कई बार हुई परेशानी

सुलेखा बताती हैं कि शुरू में जब वे परीक्षा देने या नामांकन के लिए कॉलेज जातीं थीं, तो उन्हें गार्ड द्वारा गेट पर रोक लिया जाता था। यह कहकर कि अभिभावकों को अंदर जाने की मनाही है। जब बतातीं कि वे खुद परीक्षा देने आई हैं या नामांकन के लिए जा रहीं, तो अनुमति मिलती थी।

अब मां को कॉलेज भेज बेटी होती तैयार

बेटी श्रेया, जो स्वयं मगध महिला कॉलेज में जीव विज्ञान की द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं, बताती हैं कि पहले मां को लंच देकर कॉलेज भेज देती हैं, फिर खुद तैयार होती हैं। श्रेया ने कहा, ‘शुरू में जैसे मां हमें स्कूल भेजती थीं, अब मैं उन्हें कॉलेज भेजती हूं।’

प्राचार्य  को सुलेखा के साहस और आत्मविश्वास पर गर्व

कॉलेज की प्राचार्य प्रो. शशि शर्मा ने बताया कि मुझे पता चला कि कॉलेज में 40 साल की महिला ने नामांकन कराया है तो थोड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन फिर अगले ही पल सुलेखा के साहस और आत्मविश्वास पर गर्व भी हुआ।

Input : Dainik Jagran

 

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.