सावन में भगवान शिव ने विष्पान किया था और उस विष की ज्वाला को शांत करने के लिए भक्त, भगवान को जल अर्पित करते हैं. कांवड़ के जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से तमाम समस्याएं दूर होती हैं.
कांवड़ में जल भरकर शिवलिंग या ज्योतिर्लिंग पर चढाने की परंपरा होती है. सावन में भगवान शिव ने विष्पान किया था और उस विष की ज्वाला को शांत करने के लिए भक्त, भगवान को जल अर्पित करते हैं. कांवड़ के जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से तमाम समस्याएं दूर होती हैं और तमाम मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जो लोग भी कांवर से भगवान शिव को नियमानुसार जल अर्पित करते हैं, उनको मृत्यु का भय नहीं होता.
कांवड़ उठाने के नियम क्या हैं?-
– किसी पवित्र नदी से जल भरकर शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए. गंगा नदी का जल सर्वश्रेष्ठ है.
– कांवड़ के जल को भूमि पर नहीं रखना चाहिए.
– जो लोग भी कांवड़ उठाते हैं , ऐसे लोग एक समय भोजन करते हैं , तथा शिव मंत्र का जाप करते रहते हैं.
– कांवड़ उठाने वाले व्यक्ति के घर में भी सात्विक भोजन बनना चाहिए.
– भगवा वस्त्र धारण कर कांवड़ उठाना चाहिए ताकि ऊर्जा का स्तर संतुलित रहे और शक्ति बनी रहे.
– अगर कांवड़ उठाने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य बीच में ख़राब हो जाय तो कोई और भी उसकी जगह कांवड़ उठा सकता है.
घर पर ही कांवड़ यात्रा का लाभ कैसे उठाएं?-
– लोटे में जल भरकर या गंगाजल भरकर शिवमंदिर की 27 बार परिक्रमा करें
– इसके बाद वही जल शिवलिंग पर अर्पित कर दें
– ध्यान रक्खें कि आप नंगे पैर रहें और पीले या नारंगी रंग का वस्त्र धारण करें
– लोटे में थोडा सा बचा हुआ जल रक्खें और घर के कोने कोने में छिड़क दें
– अगर ये प्रक्रिया सोमवार को करें तो सर्वोत्तम फल प्राप्त होगा.
Input : Ajj Tak