शेखपुरा । बेटी बचाओं के नारे महज नारों तक ही सीमित है। असल में बेटी आज भी समाज में उपेक्षित है। बेटी होने की वजह से अस्पताल में तिल-तिल कर कंचन मर रही है। इस बेटी कंचन की दोनों किडनी फेल हो गई है और मां-बाप सहित परिवार के सभी सदस्यों ने किडनी देने से इनकार कर दिया है। अब विवश होकर वह सदर अस्पताल में मौत का इंतजार कर रही है।
दरअसल, यह कहानी है होनहार छात्रा कंचन कुमारी है। कंचन सदर प्रखंड के अवगिल गांव के रामाश्रय यादव की बेटी है । कंचन ने इसी साल शेखपुरा के मुरलीधर मुरारका गर्ल्स हाई स्कूल से प्रथम श्रेणी से मैट्रिक की परीक्षा पास की है।
मैट्रिक की परीक्षा तक कंचन पूरी तरह से भली-चंगी थी। मगर आज से दो महीने पहले इसकी तबीयत अचानक खराब हो गई। परिवारवालों के कंचन को शेखपुरा से लेकर पटना के आईजीएमएस तक दिखाया। बाद में डॉक्टरों ने कहा कि कंचन की दोनों किडनी फेल हो गई है।
अब परिवारवाले इस होनहार बेटी कंचन को घर ले आये हैं। कंचन का पूरा परिवार भरा-पूरा है। मगर कोई अपना एक किडनी कंचन को दान देने की हिम्मत नहीं जुटा रहा है। सदर अस्पताल शेखपुरा में कंचन के बगल में खड़े बाप रामाश्रय यादव ने कंचन को अपना के किडनी दान के सवाल पर दो टूक जवाब दिया कि ये बेटी है, कौन देगा अपना किडनी।
यही नहीं नौ महीने अपनी कोख में रखकर कंचन को जन्म देने वाली उसकी मां बेटी को किडनी दान देने पर वहां से बिदककर बाहर चली गई।
इस बाबत सदर अस्पताल के चिकित्सक तथा कर्मियों ने बताया कि कंचन के पिता रामाश्रय यादव को आयुष्मान भारत योजना के गोल्डन कार्ड भी उपलब्ध है। बताया गया कि परिवार का कोई के व्यक्ति अपना किडनी दान देकर कंचन की जान को बचा सकता है। मगर किडनी दान देने के मसले पर परिवार के अन्य लोग तो दूर खुद कंचन के मां-बाप भी इनकार कर जाते हैं।
Input : Dainik Jagran