सत्याग्रह आंदोलन की माटी पर पिछले छह सालों से दहेज मुक्ति की मशाल अनवरत जल रही है। यहां विचारवान लोग ‘ नगदाहां सेवा समिति’ बनाकर दहेज मुक्ति के आदर्श को परवान चढ़ाने में जुटे हैं। संस्था की पहल से अब तक छह सौ से अधिक दहेज रहित शादियां हो चुकी हैं। इनमें ङ्क्षहदू और मुस्लिम जोड़े शामिल होते हैं। ‘विवाह हो तो ऐसा ‘ का टैैग समिति देती है।
समिति के संस्थापक अध्यक्ष मुकेश कुमार उर्फ मुन्ना गिरि बताते हैं कि समाज में दहेज की कुप्रथा उन्हें हमेशा सालती थी। यही सोचकर उन्होंने संस्था की शुरुआत की। शनै:-शनै: कारवां बढ़ता चला गया। इस वर्ष संस्था ने जिले के कुल 27 प्रखंडों में जाकर 11-11 कन्याओं का चयन कर सामूहिक शादी का बीड़ा उठाया है। अरेराज से इसकी शुरुआत हुई है।
सामाजिक सद्भाव का नजारा अनूठा होता : विवाह अथवा निकाह से पूर्व दहेज रहित विवाह का संकल्प व तत्संबंधी कागजी प्रक्रिया पूरी करनी होती है। सामूहिक मंच पर एक तरफ पंडित ब्याह कराते तो दूसरी तरफ मौलवी निकाह पढ़ाते दिखते हैं। सामाजिक सद्भाव का नजारा अनूठा होता है। वर्ष 2014 में 22, 2015 में 26, 2017 में 56, 2018 में 521 और 2019 में अबतक 11 जोड़ोंं के विवाह करवाए गए हैं। शादी के उपरांत गृहस्थी चलाने के लिए नवविवाहित जोड़े को बिस्तर से लेकर किचेन तक का सामान संस्था द्वारा सक्षम लोगों से सहयोग लेकर दिया जाता है।
आदर्श विवाह के खुशनसीब जोड़े
परसा (नेपाल) के राजकुमार साह का विवाह चिरैया बेलही की काजल कुमारी, बारा (नेपाल) के हरिदया के असलम मियां का निकाह आदापुर की शकीला खातून से, वैशाली के उमेश चौधरी का विवाह कोटवा मच्छरगांवा की आशा कुमारी संग, अजमेर के मुमताज अंसारी का निकाह संतपुर की रूबी खातून से हो चुका है। ऐसे ही सैकड़ों नाम दस्तावेज में दर्ज हैं। इस बारे में नगदाहां सेवा समिति संस्थापक अध्यक्ष मुकेश कुमार ने कहा कि दहेज के कोढ़ को समाप्त करने के लिए हम योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे हैं। प्रखंडस्तर पर आयोजन के लक्ष्य के साथ हम इसे विस्तारित करने में लगे हैं।
Input : Dainik Jagran