यूं तो हमारे देश में मंदिरों की अच्‍छी खासी फेहरिस्‍त है और उनका अपना गजब का इतिहास भी है। लेकिन अगर आप किसी अद्भुत रहस्‍यों वाले मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो एक बक्‍सर जरूर जाएं। यहां पर एक बेहद रहस्‍यमयी मंदिर है। आइए जानते हैं।

मंदिरों के प्रति गहरी आस्‍था तो सभी में होती है लेकिन कई बार हम कुछ ऐसे मंदिरों की भी सैर करना चाहते हैं जहां का इतिहास बाकी मंदिरों से अलग हो। तो अगर आप भी किसी ऐसे ही मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो बक्‍सर जा सकते हैं। बक्‍सर का यह मंदिर अपने आप में गजब के रहस्‍यों को समेटे हुए है। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्‍थापित मूर्तियां आपस में बातें करती हैं। हालांकि अभी तक इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिल पाया है। लेकिन यह भी सच है कि पुरातत्‍वविज्ञानियों ने काफी समय तक इस रहस्‍य से पर्दा उठाने की कोशिश की। लेकिन जब काफी वक्‍त तक रिसर्च करने के बाद भी उनके हाथ कुछ नहीं लगा तो इस पर खोज का कार्य बंद कर दिया गया। आइए जानते हैं कि क्‍या है इस मंदिर का इतिहास और कब हुई थी इसकी स्‍थापना?


400 साल पहले तांत्रिक ने की थी स्‍थापना

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बक्‍सर के इस रहस्‍यमयी मंदिर का नाम है ‘त्रिपुर सुंदरी।’ कहा जाता है कि इसका निर्माण तकरीबन 400 साल पहले हुआ था। स्‍थापना के बारे में स्‍थानीय ज्‍योतिषियों और पंडितों से जानकारी मिलती है कि इसे किसी भवानी मिश्र नाम के तांत्रिक ने बनवाया था। यह भी कहा जाता है कि जो लोग आज भी मंदिर की देखरेख कर रहे हैं वह उसी तांत्रिक के परिवार से हैं। बता दें कि मंदिर में ‘मां त्रिपुर सुदंरी’ की मूर्ति तो स्‍थापित है ही। साथ में षोडसी, धूमावती, छिन्‍न मस्‍ता, काली, तारा और उग्र तारा के साथ दूसरे देवी-देवताओं के साथ भैरव बाबा के अलग-अलग स्‍वरूपों की प्रतिमाएं स्‍थापित की गई हैं। कहते हैं कि मध्‍यरात्रि के दौरान मंदिर में विराजमान देवी-देवताओं की यही प्रतिमाएं आपस में बातचीत करती हैं।


मंदिर में गूंजती हैं आवाजें

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कहते हैं कि जैसे ही कोई भी व्‍यक्ति ‘मां त्रिपुर सुदंरी’ मंदिर में प्रवेश करता है। उसे अलग सी सकारात्‍मक शक्ति का आभास होने लगता है। इसके अलावा यह भी सुनने में आया है कि मध्‍यरात्रि के दौरान मंदिर से अचानक ही आवाजें आनी लगती हैं। यह आवाजें इतनी तेज होती हैं कि आसपास के लोगों को साफतौर पर सुनाई भी देती हैं। हालांकि कई बार लोगों ने प्रयास भी किया कि वह मंदिर में आकर यह देख और सुन सकें कि ये आवाजें कहां से आती हैं। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद किसी को कुछ भी पता नहीं चल सका।

जब हार गए पुरातत्‍व विज्ञानी

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‘मां त्रिपुर सुदंरी’ मंदिर से आने वाली आवाजों पर कई तरह के रिसर्च वर्क किए गए। पुरातत्‍व विज्ञानियों ने तो बकायदा इसके अध्‍ययन में काफी वक्‍त भी लगाया। लेकिन कहते हैं कि जब उन्‍हें मंदिर से आने वाली आवाजों के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिली तो उन्‍होंने भी अपनी रिसर्च बंद कर दी और यह मान लिया कि मंदिर में किसी वजह से तो आवाजें आती हैं अब कहां से और कैसे? बहरहाल इसका कोई जवाब अभी तक नहीं मिल सका है। तो अगर आप भी ऐसे ही किसी धार्मिक स्‍थान की यात्रा करना चाहते हैं तो एक बार इस मंदिर के दर्शन जरूर करें।

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