वे तीन थे जिन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गाडी़ पर स्याही फेंकी थी। चौथा भी था,जो इस ‘एडवेंचर’ की वीडियो बना रहा था। जो वीडीओ बना रहा था,वह इस कांड का मास्टर मा’इंड लग रहा था। वीडीओ में दर्ज उस शख्स की आवाज से पता चल रहा था कि निर्माता-निर्देशक का भार उसी के कंधों पर था।
उसी ने स्याही फेंकने को तैनात किये गये तीनों युवकों को मुख्यमंत्री की गाडी़ की पहचान इसी ने करायी थी। इन चारों ने जितनी आसानी से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में सेंध लगायी है,उससे पुलिस पता चलता है कि बिहार पुलिस का खुफिया तंत्र कितना कारगर है! जदयू के पूर्व एमएलसी गणेश भारती ने इसे सुरक्षा में बडी़ चूक बताया है और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
स्याही फेंकने वाले चारों युवक पुलिस की हिरासत में हैं। अहियापुर के थानेदार के बयान पर चारों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी गयी है। अब उन सबका जेल जाना तय है। लेकिन वे आगे से ऐसा कोई काम नहीं करेंगे,इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता है। क्योंकि वे जिस पार्टी से जुडे़ हैं,उसके नाम में क्रांति जुडा़ है, उसे ‘गरीब जनक्रांति पार्टी’ के नाम से जाना जाता है।
जाहिर है अपने नाम को साकार करने के लिए ये पहले सड़क पर ‘क्रांति’ करते हैं और बाद में उसे सोशल मीडिया में उछालते हैं। आज भी ऐसा ही हुआ। सीएम की कार पर स्याही फेंकने की घटना पांच से दस मिनट के भीतर सोशल मीडिया में वायरल हो गयी।
गजपा के नेताओं की औकात को कम मत आंकिए। ये मुजफ्फरपुर में ही ‘बिहार बंद’ करा देते हैं। और मीडिया उसे ‘बिहार बंद’ बता कर प्रचारित करता है। जो चार लोग पकडे़ गये हैं,उसमें से एक विकास कृष्ण उर्फ कवि इस पार्टी का अध्यक्ष है। अंकित कुमार गजपा के छात्र विंग का जिला अध्यक्ष बताया गया है। तीसरा अमरजीत और चौथा उमाशंकर यादव है जो शिवहर के तरियानी के राजाडीह का है।
गजपा नाम की जिस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस ‘एडवेंचर’ को अंजाम दिया,उसका काम-धाम अहियापुर थाना क्षेत्र में ही चलता है। उसके कार्यकर्ताओं को और कोई पहचाने न पहचाने पुलिस जरूर पहचानती है। फिर भी ये लोग पुलिस की नजर से बच गये और पुलिस की नाक के ठीक नीचे सीएम की गाडी़ पर स्याही फेंक दी।
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