बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में ऑनलाइन नामांकन में भारी ग’ड़बड़ी सामने आई है। स्नातक पार्ट वन 2019-22 चालू सत्र में ऑनलाइन आवेदन में छात्र-छात्रओं से छह सौ रुपये तक शुल्क वसूले गए मगर परीक्षा नहीं ली गई। किस मद में पैसे का इस्तेमाल हुआ, इसका सही-सही पता नहीं चल पाया। इस बीच चौंकाने वाला वाकया सामने आया है। पता चला साइबर कैफे संचालकों ने ही बड़ा हा’थ मा’रा है। दूरदराज के कैफे वालों ने आवेदन कराने के लिए छात्रों से पैसे तो लिए परंतु उसको विश्वविद्यालय के खाते में जमा नहीं कराकर खुद डकार बैठे। परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि बेतिया जिले में बड़े पैमाने पर शि’कायत मिली है। लिहाजा, इस मामले में वहां प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दूसरे जिलों में भी शि’कायतें मिल रही हैं। उसकी छा’नबीन चल रही है। विश्वविद्यालय के अधिकारी ही स्वीकार करते हैं कि ऑनलाइन आवेदन में साठ-आठ करोड़ रुपये तो लिए ही गए होंगे। एससी/ एसटी व ओबीसी से तीन-तीन सौ रुपये तो सामान्य श्रेणी वालों से छह सौ रुपये लिए गए। इस प्रकार लगभग डेढ़ लाख छात्रों से राशि की वसूली हुई है। पांच जिलों में 42 अंगीभूत व 18 संबद्ध कॉलेजों यानी 60 कॉलेजों में एक लाख के करीब सीटों पर नामांकन लिया जा रहा है। 1,44,412 छात्रों ने आवेदन किए हैं। आर्ट्स में 65,536, कॉमर्स में 8,434 तथा साइंस में 20, 675 छात्रों को परीक्षा-नामांकन के लिए कॉल किया गया। अन्य का कुछ पता नहीं चल पाया है। पहली बार विवि स्तर पर ऑनलाइन आवेदन लेकर केंद्रीकृत प्रवेश परीक्षा होनी थी। परीक्षा तो हुई नहीं मगर बड़ा गड़बड़झाला जरूर हो गया।
फोटोशॉप से जाली आवेदन रसीद देकर हड़पे पैसे : विवि ने जो पैसे अपने एकाउंट में जमा कराए उसके अलावा साइबर कैफे वालों ने आवेदन के नाम पर सौ-सौ रुपये लिए। जिस कैफे वालों ने छात्रों के पैसे लेकर एकाउंट में जमा नहीं कराए व फर्जी रसीद दिए उस हिसाब से उसने किन्हीं छात्र से सात तो किन्हीं से चार सौ रुपये डकारे। ऐसे में पीड़ित छात्रों के पैसे भी गए और नामांकन से वंचित भी रहा। विवि उसकी खोजबीन नहीं करके इक्के-दुक्के साइबर कैफे वालों पर छात्रों से ही प्राथमिकी दर्ज कराकर इत्मिनान से बैठ गया है। परीक्षा नियंत्रक ने कहा कि अधिकतर ग्रामीण बच्चे थे। उन्हें कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं था। जाली रसीद देकर साइबर कैफे वालों ने पैसे रख लिए। उसने छह सौ व सौ रुपये आवेदन शुल्क हड़प लिया। अधिकतर मामले बेतिया जिला में सामने आए हैं।
वसूले गए रुपये के समायोजन की बात
अधिकारी कह रहे हैं कि छात्रों से विवि के एकाउंट में ऑनलाइन पेमेंट कराया गया था। उसको एडजस्ट करेंगे। जैसे नामांकन में ब्रोशर का पैसा नहीं लिया जा रहा। परीक्षा नियंत्रक बताते हैं कि मन बन रहा है कि यदि यह संभव होगा तो उनके आगे फीस में एडजस्ट भी करेंगे। कॉलेज को उसका हिस्सा भी देना है। वह ब्रोशर बेचते हैं तो उनका भी हिस्सा बनता है। ऐसे भी तो ढाई सौ से तीन सौ रुपये महाविद्यालय ब्रोशर का लेते ही हैं। इस मद में एक रुपये छात्रों को नहीं देना पड़ रहा है। वह पैसा टेस्ट परीक्षा व एडमिशन के नाम पर लिया गया था।
Input : Dainik Jagran