बिहार में पिछले दो दिन से हो रही लगातार बारिश से हा’लत और बि’गड़ गए हैं। अ’स्पताल और घरों में पानी घु’स गया है। जन’जीवन अ’स्त-व्य’स्त हो गया है। बारिश के कारण बिहार में अब तक 27 लोगों की मौ’त हो गई है। जरूरी सेवाएं भी बु’री तर’ह प्र’भावित हुईं हैं। वहीं जगह-जगह रेलवे ट्रैक पर पानी भरने से कई ट्रेनें रद्द कर दी गईं। हवाई यातायात भी प्रभा’वित हुआ है। बारिश के कारण स्कूलों में छुट्टियां कर दी गई हैं।

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रेल प्रशासन ने यात्री सुरक्षा के मद्देनजर कोलकाता से अमृतसर जाने वाली अकाल तख्त एक्सप्रेस का संचालन निरस्त कर दिया। जबकि पंजाब मेल समेत कई ट्रेनों को बदले रूट से रवाना किया। ट्रेनें पटना की जगह बदले रूट से गुजरीं। रेलवे अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक 28 सितंबर को हावड़ा से अमृतसर जाने वाली ट्रेन 13005 पंजाब मेल बदले मार्ग आसनसोल-प्रधान खाटा-गया-पं. दीन दयाल उपाध्याय होकर गुजरी। इसके अलावा मालदा टाउन-दिल्ली के बीच चलने वाली ट्रेन 13413 फरक्का एक्सप्रेस किऊल जं.-गया-पं. दीन दयाल उपाध्याय और हावड़ा से जम्मूतवी जाने वाली ट्रेन 12331 हिमगिरी एक्सप्रेस आसनसोल-प्रधान खाटा-गया-पं. दीन दयाल उपाध्याय होकर चलीं।

पटना से सटे खगौल में रविवार को पेड़ गिरने से चार लोगों की मौत हो गई। विशालकाय पेड़ एक ऑटो पर जा गिरा। इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई। मृतकों में तीन महिला और एक बच्चा शामिल है। जानकारी के अनुसार ये सभी दुल्हिनबाजार के रहने वाले थे और इलाज कराने आए थे। वहीं दूसरी ओर भागलपुर के गंगा किनारे हनुमान घाट पर मंदिर की दीवार ढह गई। इस हादसे में 3 लोगों की मौत हो गई। मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है। राज्य आपदा प्रबंधन बल रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गया है।

उप्र में आफत बनी बारिश, 31 लोगों की मौत

उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य पूर्वी इलाके में बारिश ने लोगों को परेशानी में डाल दिया है। बारिश के चलते फसलें बर्बाद हो चुकी हैं जबकि शनिवार को बारिश के चलते विभिन्न जिलों में मकान व पेड़ गिरने और सड़कें धंसने से 31 लोगों की मौत हो गई। जबकि कई लोग जख्मी हो गए। मौसम विभाग की मानें तो अभी 24 घंटे मौसम के ऐसा ही बना रहेगा।

सितंबर का आखिरी हफ्ता है और मानसून अपने आखिरी पड़ाव में है। 60 साल में पहली बार इस साल मानसून के 15 दिन की देरी से लौटने का अनुमान है। मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मानसून 15 अक्तूबर तक जारी रह सकता है। 1960 के बाद यह पहली बार है, जब मानसून इतनी देरी से अलविदा कहेगा।

Input : Hindustan

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