भोजपुरी सिनेमा का स्वरूप बदल गया है। संस्कृति के बजाए आज जिस तरीके से इसमें अश्लीलता घुस आई है, उसका सबूत है महिलाओं का सिनेमा हॉल तक नहीं आना। भोजपुरी हमारी संस्कृति का आईना है। ऐसे में अगर महिलाएं हॉल तक नहीं पहुंच पाती हैं तो यह हमारे लिए चुनौती है।
कला को सम्मान
इसके लिए कलाकार और सरकार दोनों को मिल कर काम करना होगा। ये बाते शनिवार को भोजपुरी सिनेमा के मशहूर खलनायक और अपनी अदायगी से हिन्दी सिनेमा में भी जगह बनाने वाले एक्टर विजय खरे ने कही। भोजपुरी सिनेमा की ओर से कोलकाता में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजे जाने के बाद प्रेस कॉन्फेंस में विजय खरे ने भोजपुरी सिनेमा के बदलते स्वरूप से लेकर नई पीढ़ी के भोजपुरी फिल्मों से जुड़ने पर बातें की। भोजपुरी सिनेमा में अदायगी के जरिए विशेष योगदान के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया। पिछले सप्ताह यह सम्मान उन्हें दिया गया है। विजय खरे 239 फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। 70 वर्षीय विय खरे अभी भी अपने एक्टिंग स्कूल के जरिए नई पीढ़ी को अभिनय की बारीकियों से अवगत करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में लगातार नए लोग आ रहे हैं। मुजफ्फरपुर में कई फिल्मों की शूटिंग करने वाले विजय खरे ने कहा कि मणिका मन समेत यहां कई जगह ऐसी है जिसे थोड़ा ध्यान देकर संवारा जा सकता है और शूटिंग के लिए बढ़िया लोकेशन बनाया जा सकता है। विजय खरे ने कहा कि भोजपुरी ने अपनी जगह बहुत मशक्कत से बनाई थी मगर इसमें गिरावट आ* रही है।
इसे संभालना हमारा दायित्व है। उन्होंने कहा कि हम इस दिशा में प्रशसरत है और कोशिश है कि अपने शहर में ही स्थानीय भाषा में फिल्म का निर्माण हो। विजय खरे को यह सम्मान मिलने पर भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन, निरहुआ, मनोज तिवारी समेत कई लोगों ने बधाई दी है।
Input : Hindustan