महिलाओं की सु’रक्षा व उनके सम्मान के लिए देशभर में कई तरह के का’नून बनाए गए हैं। महिलाएं पुलिस व महिला आयोग में जाकर शि’कायत दर्ज’ करवा सकती हैं। लेकिन परेशान पति के लिए ऐसा कोई आयोग नहीं है, जहां जाकर वे शि’कायत द’र्ज करवा सके। ऐसे में देश के हजारों पी’ड़ित पतियों ने दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर ध’रना प्रदर्शन किया। साथ ही उन्होंने सरकार से पी’ड़ित पुरुषों के लिए भी एक पुरुष आयोग बनाए जाने की मांग की।
अधिकतर पीड़ित पुरुषों का कहना है कि, यदि परिवार में मायके वालों का हस्तक्षेप बंद हो जाए तो 80 प्रतिशत तक परिवार टूटने से बच सकते हैं। देश के विभिन्न राज्यों से आए पुरुष इस प्रदर्शन का हिस्सा बनें। झारखंड के रहने वाले रामनाथ दास ने अपने बेटे के साथ हुए अन्याय के खिलाफ महात्मा गांधी का रूप धारण कर सत्याग्रह जारी रखने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि, वह पूर्व सैनिक हैं। साल 2013 में उनकी बहू ने उनके बेटे और पूरे परिवार के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का झूठा केस दर्ज कराया था। इस झूठे केस में कोर्ट ने उनके बेटे को क्लीन चिट दे दी।
इसके बाद साल 2013 में उन्होंने पुरुषों के साथ हो रहे अन्याय और कानून के गलत प्रयोग की खिलाफत के लिए गैरसरकारी संस्था ‘सेव इंडियन इनोसेंट फैमिली’ की स्थापना की। तब से ही रामनाथ दास पुरुषों के खिलाफ हो रहे अन्याय के लिए राष्ट्रीय पुरुष आयोग बनाने की मांग कर रहे हैं। गांधी जी की 150वीं जयंती के मौके पर रामनाथ दास केंद्र सरकार तक देश के सभी पीड़ित पतियों की आवाज उठाने के लिए दिल्ली आए।
नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार देश में अविवाहित पुरुष और महिलाओं में आत्महत्या की दर लगभग बराबर है। लेकिन विवाहित पुरुषों की आत्महत्या की दर महिलाओं से दोगुनी है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर साल करीब 91 हजार पुरुष आत्महत्या करते हैं।
देशभर से इकट्ठा हुए पीड़ित पुरुष
इस धरने का हिस्सा बनने के लिए पंजाब, तेलंगाना, इंदौर, ग्वालियर, जमशेदपुर आदि जगह से पुरुष इक्ट्ठे हुए। ज्यादातर पुरुषों का कहना है कि, जिस तरह देश में महिलाओं, पेड़, पक्षियों और अन्य सभी चीजों के लिए कानून बनाए गए हैं, उसी तरह पुरुषों के लिए भी कानून होने चाहिए। जिससे कि पुरुष दहेज उत्पीड़न कानून के गलत प्रयोग से बच सकें। साथ ही सभी ने सरकार से पुरुष आयोग बनाए जाने की अपील की।
Input : चैतन्य भारत
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