छठ ऐसा शब्द जिसको सिर्फ सुनने मात्र से ही न जाने एक दम से सब याद आने लगता है, अपना गांव टोला भर के लइका सब जे दिवाली के अगला दिन से ही छठ पूजा के तैयारी में लग जाता था।
माय बाबू से चोरा के अपना 5 रुपया 10 रुपया जमा करके लइका सब घाट सजाने का सामान चमकउआ झालर सब लगा के घाट बना देता था।
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उत्साह त मानिये की सातमा आसमान पर रहता था । बाज़ार से छठ का सारा सामान किनना पूरा दिन भुखले प्यासले बाजार में समान जोड़ना एक अलग ही मजा था। छठ के दिन भोर ही से सब लइका सब बिल्कुल ऐसे तैनात रहता था जैसे सीमा पर हमारे वीर जवान पूरा घर से लेके पोखरी तक जगमग रोशनी वाला लाइट डीजे पर सब जगह शारदा सिन्हा जी के छठ गीत मानिये मन जैसे तृप्त हो जाता था। एक बात तो है छठ पूजा शारदा सिन्हा जी के गीत के बिना अधूरा सा लगता है।
दीवाली से लेके छठ तक पूरे बिहार में एक अलग ही जोश उत्साह देखने को मिलता है। मैं एक ऐसा अभागा हूँ जो काम के चक्कर में कई वर्षों से घर नही गया हर बार कोई न कोई समस्या या अड़चन मेरे और मेरे गाँव जाने के बीच आ ही जाता था । पूरे 5 साल हो चुके है हमको बिहार, माँ और छठ पूजा के दूर रहते।
बस अब और नही हमने फैसला कर लिया इस साल और सिर्फ इसी साल क्यों हर साल हम छठ पूजा में अपने माँ के पास अपने गाँव मे छठ पूजा मनाएंगे और आपस मे खुशियाँ बाटेंगे। आप सभी देश विदेश रह रहे सभी भाई लोग से अनुरोध है कि छठ में आप सब समय निकाल के घर जरूर पहुँचे काम धंधा और पैसा कमाना तो साल भर लगा रहता है।
आइये इस बार छठ पूजा को सब लोग साथ मिलके अपने परिवार के साथ मिल के मनाए। हम तो जा रहे है सीतामढ़ी अपने घर और आप सब भी सब काम खत्म करके जल्दी घर पहुँचिये।
और हां परसादी का ठेकुआ पीड़िकीया लाके अपने बॉस और दोस्त लोग को जरूर खिला दीजिएगा ताकि आगे से बॉस दिक्कत न करे।
आइये घर चलते है।
राह देख रही है माँ और बिहार
घर पर मनाईये छठ का त्यौहार
आशुतोष मिश्रा
Photos by Mohan Sanju Photography