बिहार का महापर्व छठ लोक आस्था का त्यौहार माना जाता है इसमें तमाम तरह की सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें समाज के हर वर्ग के लोग बनाते हैं। छठ पूजा (Chhath puja) में अरता का पात एक जरूरी सामग्री होती है। जिसका निर्माण ज्यादातर मुस्लिम (muslim)परिवार करते है।

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100 साल से मुस्लिम परिवार बना रहा है अरता पात:  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार छपरा के एक गांव के मुस्लिम परिवार लगभग 100 साल से अरता का पात तैयार करते है। छठ पूजा में उपयोग होने वाला अरता का पात महत्वपूर्ण सामग्रियों में से एक है, और इसे ज्यादातर मुस्लिम परिवार ही तैयार करता है। छपरा के झौंवा गांव में अरता पात का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है और यहां से बिहार के साथ-साथ देश के कई अन्य जिलों में भी भेजा जाता है।

हिंदू-मुस्लिम से बढ़कर है यह त्यौहार: झौंवा गांव के निवासी शमीम अहमद ने मीडिया को बताया कि उनका परिवार पिछले कई पीढ़ियों से इस काम को कर रहा है और उनका पूरा परिवार मिलकर अरता पात को बनाते है। छठ एक ऐसा धर्म है जिसमें सभी धर्म का सहयोग दिखता है। यह त्यौहार हिंदू-मुस्लिम पर राजनीति करने वालों के लिए एक सबक है। इस त्यौहार में लगभग हर वर्ग के लोग अपना योगदान देते है।

 

विदेशों में भी भेजे जाते है: बता दें कि इस छोटे से गांव झौंवा की ज्यादातर लोग इस काम में सालभर लगे रहते है। वैसे तो इस्तेमाल कई अन्य पूजन कार्यों में भी किया जाता है लेकिन छठ के पूजा के समय इसकी मांग काफी बढ़ जाती है। इसके कारण इस वक्त यहां इसे बड़े पैमाने पर बनाया जाता है और यहां से बनने वाला अरता पात देश के साथ-साथ विदेशों में भी भेजा जाता है।

आर्थिक स्थिति में सुधार: झौंवा गांव छपरा जिले के मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है। छठ आते ही यहां व्यापारियों की चहल-पहल बढ़ जाती है। एक व्यापारी ने मीडिया को बताया कि यहां बनने वाले अरता पात को खरीदने के लिए दूसरे जिलों के लोग भी झौंवा गांव में पहुंचते हैं और इससे यहां के लोगों को काफी आर्थिक फायदा होता है। बता दें कि अरता पात अकवन की रुई से बनाई जाती है जिससे सांस लेने में समस्या होती है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, झौंवा गांव में सबसे ज्यादा टीवी के मरीज पाये जाते हैं। आज परंपरा के साथ जुड़ा यह उद्योग कठिनाइयों के दौर से गुजरते हुए भी इस गांव ने अपनी अलग पहचान बना ली है और सांप्रदायिक सौहार्द्र का अनोखा मिसाल पेश कर रहा है।

इनपुट : जनसत्ता 

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