सब्जी की खेती के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं रही। नई तकनीक से छत पर बिना मिट्टी के भी सब्जी की खेती की जा सकेगी। हरा चारे की खेती भी कमरे में की जा सकेगी। व्यक्तिगत ही नहीं, बल्कि व्यावसायिक उपयोग के लिए भी तकनीक का उपयोग किया जा सकेगा। पानी की भी बचत 70 प्रतिशत तक होगी। बिना मौसम वाली सब्जी की खेती भी की जा सकेगी।

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विदेशी वैज्ञानिकों की इस खोज को गोवा, गुजरात, तामिलनाडु और केरल के किसानों ने अपना लिया है। अब बिहार सरकार ने भी इसको मंजूरी दे दी है। इसे किसानों के घर तक पहुंचाने का जिम्मा बिहार कृषि विश्वविद्यालय को दिया गया है। इसकी संरचना थोड़ी महंगी जरूर है, लेकिन किसानों ने रुचि दिखाई तो सरकार इस पर अनुदान देने पर भी विचार करेगी। हालांकि सब्जी में यह विधि फिलहाल सलाद में उपयोग आने वाले लैट्यूस के अलावा शिमला मिर्च, टमाटर और हरा धनिया की ही खेती में इस्तेमाल की जा सकेगी, लेकिन अन्य सब्जियों के लिए इसे उपयुक्त बनाने पर काम चल रहा है।

हरा चारा के लिए इस तकनीक से मक्का, जौ और गेहूं का उत्पादन किया जा सकेगा। सब्जी की खेती के लिए उच्च तकनीक का पॉली हाउस बनाया गया है। इसमें पानी से मिट्टी में मिलने वाले तत्व पौधों को दिये जाते हैं। पानी कई बार ट्रीटमेंट कर उपयोग होता है। सभी मशीनें पॉली हाउस में लगी होती हैं। एक कमरे या छत पर साल में चार बार जब्जी की खेती कर सकेंगे। इस स्थायी पॉली हाउस की कीमत 20 से 25 लाख रुपये हैं।

 

बिहार कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. संजीव गुप्ता का कहना है कि योजना भूमिहीन किसानों के लिए यह बहुत लाभदायक है। विश्वविद्यालय में इसकी खेती शुरू होगी। किसानों को वहां बुलाकर ट्रेनिंग दी जाएगी। उसके बाद इसका विस्तार होगा।

Input : Hindustan

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