राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Mandir-Babri Masjid Dispute) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला शनिवार 9 नवंबर को आ सकता है. इस आंदोलन के सबसे बड़े किरदारों में से एक लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) का 8 नवंबर को जन्मदिन है. नई पीढ़ी को शायद ही पता हो कि राम रथयात्रा के समय बिहार (Bihar) के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव के आदेश के बाद भी एक डीएम ने आडवाणी को गिरफ्तार करने से मना कर दिया था. ताकि समाज में गलत संदेश न जाए. उनका नाम था अफजल अमानुल्लाह (Afzal Amanullah). वो अब रिटायर हो चुके हैं.

वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर के मुताबिक आडवाणी को 23 अक्टूबर 1990 को समस्तीपुर में गिरफ्तार किया गया. जिस आईएएस अफसर अफजल अमानुल्लाह ने उन्हें गिरफ्तार करने से इनकार किया था, वह सैयद शहाबुद्दीन के दामाद हैं. शहाबुद्दीन तब बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक थे.

यह कहानी शुरू होती है 25 सितंबर 1990 से. राम मंदिर आंदोलन को धार देने के लिए आडवाणी ने सोमनाथ से रथयात्रा शुरू की. रथयात्रा का पहला चरण 14 अक्टूबर को पूरा हुआ. आडवाणी दिल्ली पहुंचे. तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने 18 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल के सीएम रहे ज्योति बसु को दिल्ली बुलाया. बसु ने आडवाणी से बात की और रथयात्रा स्थगित करने का आग्रह किया. लेकिन आडवाणी ने बसु की सलाह ठुकरा दी.

रथयात्रा के दूसरे चरण में बिहार पहुंचा था रथ

19 अक्टूबर को आडवाणी धनबाद रवाना हुए जहां से उन्होंने दूसरा चरण शुरू किया. वहां से अयोध्या पहुंचकर वो 30 अक्टूबर को राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण शुरू कराना चाहते थे. तब बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की तूती बोलती थी. उन्होंने धनबाद के डीएम अफजल अमानुल्लाह को निर्देश दिया कि वो आडवाणी को वहीं गिरफ्तार कर लें. प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तारी वारंट तैयार करके अफसरों को सौंप दिया, लेकिन अमानुल्लाह ने गिरफ्तार करने से मना कर दिया.

आरके सिंह, जिन्होंने लालू यादव के आदेश पर आडवाणी को गिरफ्तार किया था

इस डर से नहीं की गिरफ्तारी

सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक का दामाद यदि आडवाणी को गिरफ्तार करता तो टेंशन बढ़ती. यही नहीं एक मुस्लिम अफसर भी ऐसा करता तो भी आग में घी डालने के समान होता. इसलिए अमानुल्लाह ने लालू यादव के आदेश को नहीं माना. उधर, लालू प्रसाद यह संदेश देना चाहते थे कि उन्होंने ‘सांप्रदायिक आडवाणी’ का रथ बिहार में नहीं घुसने दिया. रथयात्री लालकृष्ण आडवाणी को जिस अफसर ने गिरफ्तार किया था, वह आरके सिंह अब बीजेपी के सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं.

Input : News18

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