मुजफ्फरपुर बा’लिका गृ’ह यौ’न हिं’सा कां’ड में साकेत को’र्ट गुरुवार को फै’सला सुना सकता है। मुख्य अ’भियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत कुल 20 लोगों पर पॉ’क्सो समेत विभिन्न धा’राओं में मुक’ दमा चल रहा है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ इस मा’मले की सुनवाई कर रहे हैं।

अभियुक्तों में बालिकागृह के कर्मचारी और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं। यह भी संयोग ही है कि बाल दिवस (14 नवंबर) को पीड़ित बच्चों को न्याय मिलेगा। हालांकि वकीलों की हड़ताल के कारण फैसला टलने की भी आशंका है। पिछले साल मई में मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में कई बच्चियों से दुष्कर्म व यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 23 फरवरी से इस मामले की साकेत कोर्ट में नियमित सुनवाई चल रही है। मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर पर पॉक्सो व दुष्कर्म समेत कई धाराओं में मामला चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने छह माह में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया था। सभी 20 आरोपितों को 23 फरवरी को कड़ी सुरक्षा में दिल्ली लाया गया था।

वकीलों की हड़ताल से असमंजस की स्थिति : पुलिस से हुए विवाद को लेकर दिल्ली में इस समय वकीलों की हड़ताल चल रही है। ऐसे में फैसले को लेकर असमंजस की स्थिति है। हालांकि फैसले के समय उपस्थित रहने के लिए दिल्ली पहुंचे बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने मोबाइल पर बताया कि कोर्ट में यह मामला सूचीबद्ध है। इसमें फैसला सुनाए जाने की तिथि निर्धारित है।

ये हैं आरोपित : ब्रजेश ठाकुर, बाल संरक्षण इकाई के तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी, बाल संरक्षण पदाधिकारी रवि रोशन, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दिलीप वर्मा, सदस्य विकास कुमार, बालिका गृह की कर्मचारी इंदु कुमारी, मीनू देवी, मंजू देवी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, किरण कुमारी, विजय कुमार तिवारी, गुड्डू कुमार पटेल, किशन राम उर्फ कृष्णा, डॉ. अश्विनी उर्फ आसमानी, विक्की, रामानुज ठाकुर, रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर व साइस्ता परवीन उर्फ मधु।

बाल संरक्षण इकाई के अधिकारियों व कर्मचारियों के हस्ताक्षर की कराई पहचान

सीबीआइ ने बाल संरक्षण इकाई के अधिकारियों व कर्मचारियों के हस्ताक्षर की पहचान कराई है। ये वे अधिकारी हैं, जिनकी विभागीय संचिकाओं में कई मौके पर हस्ताक्षर हैं। इसके लिए इकाई के दो कर्मचारियों को सीबीआइ ने पटना तलब किया था। इनमें बाल संरक्षण इकाई के तत्कालीन सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा, रोजी रानी, बाल संरक्षण पदाधिकारी रवि रोशन सहित अन्य शामिल हैं। इसमें से रोजी रानी व रवि रोशन फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। वहीं दिवेश कुमार शर्मा ने ही इस मामले में महिला थाना में केस दर्ज कराया था। सीबीआइ की जांच में बाल संरक्षण इकाई शुरू से ही निशाने पर रही है। सीबीआइ की टीम ने कई बार यहां आकर जांच की तथा संचिकाओं को अपने साथ ले भी गई। सीबीआइ यह जानना चाह रही थी कि बाल संरक्षण इकाई की बैठकों व कार्यक्रमों में ब्रजेश ठाकुर व साइस्ता परवीन उर्फ मधु किस हैसियत से भाग लेती थी। दोनों के हस्ताक्षर की पहचान भी कर्मचारियों से पहले कराई गई। इकाई के अधिकारियों व कर्मचारियों के फोटो की पहचान भी पीड़िताओं से कराई गई।

Input : Dainik Jagarn

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