बिहार के कवि व लेखक नीलोत्पल मृणाल, अपने गमछा की वजह से ट्रेंड कर रहे हैं। 12 नवंबर की रात कनॉट प्लेस (दिल्ली) के एक रेस्तरां में उन्हें जाने से इसीलिए रोक दिया गया, क्योंकि उनके कंधे पर गमछा था। हिन्दी लेखक व साहित्य कला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नीलोत्पल ने इस घ’टना पर पोस्ट लिखा और गमछा ट्रेंड में आ गया; यह खासकर बिहारी अ’स्मिता और संस्कृति की ल’ड़ाई से जुड़ गया। उनके सपोर्ट में कई युवा, साहित्यकार और लेखक सामने आए हैं। ये सभी लोग रेस्तरां में हुई घ’टना के वि’रोध में आवाज उठा रहे हैं। विदेश में काम कर रहे बिहार और यूपी के प्रबुद्ध वर्ग भी आ’पत्ति जता रहे हैं।

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बाेले नीलाेत्पल-पहनावे के लिए डिमोरलाइज नहीं होना चाहिए

‘दैनिक भास्कर’ ने जब नीलोत्पल से बात की, तो उन्होंने कहा-‘देश में कई लोगों के साथ ऐसा पहले भी हुआ लेकिन किसी ने इसका विरोध नहीं किया। मैंने जब अपनी बात फेसबुक पर लिखी तो कई लोग सामने आए। कहा कि मेरे साथ भी ऐसा हुआ है। सवाल यह है कि जो हो रहा था वो मुद्दा क्यों नहीं बन पाया। वेशभूषा को लेकर भेदभाव कितना सही है? मैं यह संदेश देना चाहता हूं कि आपको वेशभूषा, खान-पान व कल्चर के लिए डिमोरलाइज नहीं होना चाहिए। स्टैंड लेना चाहिए।’

कवि कुमार विश्वास ने कहा-कनाट प्लेस अंग्रेजों की मानसिकता वाली है जगह

बहरहाल, ख्यात कवि कुमार विश्वास ने कहा कि कनाट प्लेस अंग्रेजों की मानसिकता वाली जगह है। आजादी के बाद यहां अभिजात्य वर्ग के लोग बस गए। सरकार सुनिश्चित करे कि इस तरह की घटनाएं दुबारा न हों। मैं निजी रूप से उस रेस्तरां के मालिक को चेतावनी देता हूं कि वह इसके लिए सार्वजनिक रूप से क्षमा याचना करे। अन्यथा मैं नीलोत्पल को लेकर गमछा डालकर पांच और बड़े लेखकों को लेकर वहां खाना खाने चला आऊंगा।

जर्मनी की सड़क पर गमछा लिए निकले और फाेटाे पाेस्ट की

जर्मनी में टेक्निकल मैनेजर प्रकाश शर्मा को जब इस घटना की खबर मिली तो वह सड़कों पर गमछा लिए निकले और फोटो पोस्ट की। उन्होंने कहा कि किसी के पहनावे के आधार पर भेदभाव करने की सोच बहुत गलत है। दिल्ली में पढ़ा रहे बिहार के प्रो. राजीव कुमार ने भी गमछे के साथ फोटो पोस्ट की और कहा कि यह घटना हमारे बिहारी स्वाभिमान पर चोट है।

बिहारियों की वेशभूषा की पहचान है गमछा, नीचा दिखाना गलत

लोकगायिका चंदन तिवारी ने कहा किसी के पहनावे पर बात करना और उसे नीचा दिखाना सरासर गलत है। बिहारियों की वेशभूषा की पहचान है गमछा। इसके लिए हमें कोई नीचा कैसे दिखा सकता है? हम सभी नीलोत्पल के समर्थन में हैं।

Input : Dainik Bhaskar

 

 

 

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