वाहन की गति को आपने अगर तय सीमा से थोड़ा भी आगे बढ़ाया तो खैर नहीं। मौके पर कोई आपको देख भी नहीं रहा होगा और इस गलती का चालान आपके घर के पते पर पहुंच जाएगा। आपका बचना मुश्किल होगा। तेज गति और ओवरटेक की वजह से लगने वाले जाम और सड़क दुर्घटना की समस्या पर अंकुश लगाने को ले बिहार में पहली बार स्पीड गन लगाया जा रहा है। इस तरह की पहली व्यवस्था दीघा और सोनपुर के बीच बने जेपी सेतु पर हो रही। बाद में इसे अन्य जगहों पर भी ले जाया जाएगा।

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इस तरह काम करता है स्पीड गन : स्पीड गन एक सिम आधारित सिस्टम है जो वाहनों की गति पर इनबिल्ट कैमरे से नजर रखता है। अगर किसी इलाके की सड़क की वाहन की गति को नियंत्रण में रखना है तो इस सिस्टम को उपयोग में लाया जाता है। सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या के बीच इसके इस्तेमाल का चलन बढ़ रहा है। संबंधित सड़क में यह ऐसी जगह लगा दिया जाता है कि वाहन चालक को पता भी नहीं चलता कि उस पर नजर रखी जा रही है? यह वाहन के आगे लगे नंबर प्लेट को पढ़ लेता है। अगर किसी सड़क पर वाहन की गति 40 किमी प्रति घंटा के हिसाब से तय है और कोई वाहन चालक अपने वाहन को 50 की स्पीड से ले जा रहा है तो उसकी गाड़ी को स्पीड गन अपनी परिधि में ले लेगा। उसके नंबर प्लेट से उस वाहन के बारे में सभी जानकारी मिल जाएगी और परिवहन विभाग के पूरे सिस्टम में यह बात आ जाएगी। चालान उसके घर पहुंच जाएगा।

दिल्ली में एनएच 24 पर लगा है यह सिस्टम : बिहार राज्य पथ विकास निगम की देखरेख में जेपी सेतु पर स्पीड गन सिस्टम लगाए जाने की कवायद आरंभ हुई है। इस कवायद से जुड़े इंजीनियरों का कहना है बिहार में अत्याधुनिक तकनीक वाले स्पीड गन को लगाया जाएगा। दिल्ली में उन्होंने एनएच 24 पर लगे इस सिस्टम का अध्ययन किया है। यह काफी महंगा नहीं होता। तीस हजार रुपए में इसकी एक इकाई मिलती है। एक स्ट्रेच में चार-पांच स्पीड गन काफी है।

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Input : Dainik Jagran

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