प्रतीक रतन : आज बड़ा ही मनहूस-सा दिन हैं, मुजफ्फरपुर ने अपनी एक बहादुर लाडो को खो दिया है। पी’ड़िता के लगभग 11 दिनों के इस द’र्दनाक सफ़र का आज खा’त्मा तो हो गया परन्तु अपने पीछे वो कई सवाल छोड़ गई। आज मा’नवता कटघरे में है, आज सभ्य समाज की सभ्यता कटघरे में है, आज पुलिस प्रसाशन भी कटघरे में है।
म’रनें से पहले किसी न्यूज नेटवर्क को दिए आखिरी बयान में पी’ड़िता ने मांगा इं’साफ
कहानी कुछ चंद दिनों की नहीं है। ऐसी खबरें भी आई कि पी’ड़िता और आरो’पी पहले से एक दूसरे को जानते थें। किन्तु पिछले एक वर्ष से आरो’पी पी’ड़िता को ज’बरन परेशान कर रहा था। पी’ड़िता के परिजनों ने अहियापुर थाने में इसकी शि’कायत की किन्तु वहां उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई। आरोपी की द’बंगई का इतना खौ’फ़ ? आ’खिरकार क’ब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी ? और कितनी बे’टियों को अपने रक्त सिंचित बलिदान से गुजरना होगा ? आज पी’ड़िता की रूह पुलिस प्रसाशन को भी कटघरे में खड़ा कर सवाल पूछ रही हैं। पी’ड़िता उस त’ड़प में भी अपराधियों को सख्त सज़ा देने की मांग कर रही थीं।
क्या द’बंगों के डर से ल’ड़कियां जीना छोड़ दें ?
आय दिन बा’लात्कार, छे’ड़छाड़, ह’त्या जैसी घ’टनाएं बेटियों का जीना दुभर कर चुकी है। आरोपी ने जो किया वो निश्चय हीं द’रिंदगी की पराकाष्ठा है। एक लड़की के साथ जबरन छे’ड़छाड़ करना और फिर उसके घर में जाकर उसे बेदर्दी से जिं’दा ज’ला दिया गया। आज मानवता एकबार फिर शर्मसार है। आरोपी के शुभचिंतकों के द्वारा ये ख़बर फैलाई गई कि आरोपी और पीड़िता के बीच कुछ आपसी मित्रता थीं। ये उनका निजी मामला है किंतु क्या इस भीषण अपराधिक कृत्य करना जायज है ? किसी लड़की को जिं’दा ज’ला देना किसी भी सूरत में जायज नहीं हो सकता। आरोपी को कठोरतम दंड मिले और शीघ्र मिले ताकि दूसरे मनचले दरिंदे भी ऐसी द’रिंदगी से पहले उसका अंजाम सोचकर उनकी रूह कांप उठें।
मुजफ्फरपुर नाउ आप सभी माताओं व बहनों से आग्रह करता है कि अगर आपके साथ किसी भी प्रकार की छे’ड़छाड़ हो तो उसका पुरजोर विरोध करें और अपनी आवाज़ बुलंद करें ताकि कोई भी राह चलता द’रिंदा महिलाओं को परे’शान न कर सकें।