अंग्रेजी हुकूमत के खि’लाफ जनमत को प्रेषित करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी और कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी की स्मृतिशेष को समेटने वाला कोई नहीं है। हिंदी साहित्य में माटी की मूरतें के अमर शिल्पी तथा गेहूंऔर गुलाब के समन्वय की आवश्यकता के उद्घोषक रामवृक्ष बेनीपुरी की गणना उन महाप्राण युग पुरुषों में करनी होगी जिन्होंने एक साथ कई कर्म क्षेत्रों में समान प्रतिष्ठा प्राप्त कर उच्च कोटि का यश अर्जित किया।

स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्होंने तत्कालीन बिहार के युवकों के सामने साहस व त्याग का आदर्श प्रस्तुत किया। राजनीतिक नेता के रूप में समाजवादी दल की नींव ही नहीं डाली उसके विकास में खू’न पसीना भी एक किया। वह अपने समय के निर्भीक पत्रकार थे। उनकी आदो’लन धर्मी पत्रकारिता ने बिहार में चेतना जगाई। स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनापति के रूप में उन्होंने बिहार में अंग्रेज सत्ता के छक्के छुड़ाए। वे भाषा के बादशाह थे। उन्होंने हमेशा किसान, मजदूर व शोषितों की पीड़ा को दूर करने की दिशा में कार्य किया। जीवन संग्राम के योद्धा के रूप में उन्होंने गरीबी अंधश्रद्धा पाखंड से दो-दो हाथ किए।

वे समाजवादी दल के संस्थापक सदस्य थे। आचार्य नरेंद्र देव के साथ समाजवादी दल को दृढ़ बनाने वाले बेनीपुरी नई दुनिया के सपने देखते थे। साहित्य नया, संस्कृति नई, समाज नया और इन सब से युक्त देश नया। वे जब घर बना रहे थे तब मैथिलीशरण गुप्त आए थे। उन्होंने कहा था कि भाई बेनीपुरी देहात में इतना बड़ा घर क्यों बना रहे हो, तो उन्होंने कहा था कि यह घर नहीं हम अपनी स्मृति शेष बना रहे हैं। ये अब जमींदोज हो चला है।

स्मारक स्थल के लिए दी गई जमीन पर खेती की जा रही

इसे बचानेवाला कोई नहीं है। अपने जीवनकाल में ही उन्होंने कहा था कि जब मैं मरूं तो मेरी समाधि स्थल स्मृति भवन के सामने स्थित मौल्सरी का पेड़ है वहा पर बनाना। उन्हीं की इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार मौल्सरी के पेड़ के नीचे उनका समाधि स्थल बनाया गया जो जमींदोज हो गया है।

जनप्रतिनिधियों ने दिया आश्वासन

बरसों से विधायक, सासद, मंत्री व कई जनप्रतिनिधि जयंती समारोह में आते रहे हैं। सभी ने बेनीपुरीजी के स्मृति शेष को बचाने का आश्वासन दिया, लेकिन कुछ नहीं हो पाया। 2012 में तटबंध के बाहर बेनीपुरी चेतना समिति के नाम पर स्मारक स्थल बनाने के लिए 1 एकड़ 14 डिसमिल जमीन सरकार की तरफ से दी गई। स्थानीय विधायक डॉ.सुरेंद्र कुमार यादव ने भी आश्वासन दिया था कि अपनी देख-रेख संरक्षण करेंगे।

उनके द्वारा भी कुछ नहीं किया गया। विदित हो कि विगत वर्ष बागमती परियोजना बाध के बगल में मिले 1 एकड़ 14 डिसमिल जमीन में बेनीपुरीजी की जयंती मनाई गई थी। इस बार भी वहीं पर जयंती मनाई जाएगी। वहा रविवार को एक झोपड़ीनुमा घर को हटाकर साफ-सफाई की गई। बताया जाता है कि सोमवार को होने वाले इस जयंती समारोह में इस बार बाहर से कोई जनप्रतिनिधि, प्रोफेसर या कोई अन्य लोग नहीं आ रहे हैं ग्रामीण स्तर पर जयंती मनाई जाएगी।

शिलान्यास के एक साल बाद भी नहीं शुरू हुआ भवन निर्माण

बेनीपुरी स्मारक स्थल पर सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य शिलान्यास के एक वर्ष बाद भी शुरू नहीं हुआ। स्मारक स्थल निर्माण को आवंटित भूमि पर फिलहाल खेती की जा रही है। विगत वर्ष बेनीपुरीजी की जयंती परियोजना बाध से बाहर आवंटित भूमि पर टेंट लगाकर मनाई गई थी। इसका शिलान्यास सासद अजय निषाद की अनुपस्थिति में भाजपा जिलाध्यक्ष रामसूरत राय ने किया था। 1026300 की प्राक्कलित राशि से नए स्मारक स्थल पर भवन निर्माण की आधारशिला रखी गई थी। एक साल मे संवेदक ने मात्र दो टेलर ईंट गिराई है। इससे ग्रामीणों मे आक्त्रोश है। स्मारक स्थल के लिए मिली जमीन मे लगाया गया चापाकल भी खराब पड़ा है।

Input : Dainik Jagran

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