पटना. क्या बिहार में भी बटेगीं मुफ्त की रेबड़ियां? क्या दिल्ली में तीसरी बार अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) सरकार बनने के बाद देश के अन्य राज्यों में ‘मुफ्त-मुफ्त-मुफ्त’ का ट्रेंड चलेगा? ये सवाल इसलिए कि दिल्ली की तर्ज पर झारखंड और महाराष्ट्र सरकार (Government of Jharkhand and Maharashtra) भी बिजली फ्री में देने का विचार कर रही हैं. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी 75 यूनिट तक फ्री बिजली देने की बात कही गई है. तो क्या बिहार में 2020 में होने वाले चुनाव में भी राजनीतिक दल ‘मुफ्त’  की राजनीति के आसरे अपनी सियासी जमीन सींचेंगे?

बीजेपी ने कही बड़ी बात

दिल्ली चुनाव के बाद एग्जिट पोल बताते हैं कि लगातार तीसरी बार अरविंद केजरीवाल ही दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. परिणाम अगर अनुमान के मुताबिक आ गये तो दिल्ली में आम आदमी की सरकार बनने के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि केजरीवाल की मुफ्त योजना को अन्य राज्य के राजनीतिक दल भी चुनाव जीतने का मंत्र बनाने लगेंगे.

हालांकि बिहार भाजपा का कहना है कि ऐसा नही होगा, लेकिन भाजपा का यह भी कहना है कि अब किसी भी राजनीतिक दल के लिए विकास का काम करना जरूरी हो गया है. अब जनता को झूठा आश्वासन देकर वोट हासिल नहीं किया जा सकता. न ही आरक्षण या जात-पात के नाम पर कोई राजनीतिक पार्टी उन्हे बरगला सकती है.

भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार विकास का काम कर रहे हैं. यही वजह है कि देश की जनता का उनके प्रति विश्वास बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार समेत जहां-जहां एनडीए या फिर भाजपा की सरकार है वहां विकास के काम हो रहे हैं.

उन्होने कहा कि किसी दूसरी वजह से हम झारखंड का चुनाव हार गये, लेकिन आज भी झारखंड की जनता कहती है कि भाजपा के शासन में विकास के कई काम हुए हैं. भाजपा प्रवक्ता का कहना है कि अब वो दिन लद गये कि किसी को जात-पात में बांटकर वोट हासिल कर लिया जाये.

बिहार का उदाहरण बताते हुए उन्होने कहा कि बिहार में भाजपा-जदयू की सरकार ने जिस तरह से विकास का काम किया उससे जनता भी खुश है. यही वजह है कि जाति की राजनीति कर लोगों को बरगलाने वालों को आज जनता ने दरकिनार कर रखा है.

कांग्रेस ने किया ‘आप’ की राजनीति को खारिज

कांग्रेस का भी कहना है कि अरविंद केजरीवाल ने चुनाव जीतने के लिए जो रास्ता अख्तयार किया है उससे वो जीत भले सकते हैं, लेकिन अन्य राज्यों में इस तरह की परिस्थिति नहीं बनेगी. कांग्रेस नेता राजेश राठौर का कहना है कि दिल्ली जैसे राज्य में जहां लगभग हर हाथ को काम मिला हुआ है. दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय भी अन्य राज्यों की तुलना में तीन गुना है. बावजूद इसके अरविंद केजरीवाल को उपने काम पर भरोसा नही था. इसलिए उन्होने बिजली मुफ्त,पानी मुफ्त और मेट्रो के साथ बस में महिलाओं को मुफ्त सफर का ऐलान कर दिया.

राजेश राठौर ने कहा कि बिहार में ऐसा नही होगा. लेकिन भाजपा जो मुफ्त देने का इलजाम केजरीवाल पर लगा रही है. उन्होंने भी तो मुफ्त में स्कूटी देने का वादा किया था.

दिल्ली की तुलना देश के अन्य राज्यों से नहीं

राजद नेता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि दिल्ली की तुलना देश के अन्य राज्यों से नहीं की जा सकता है. उन्होने कहा कि दिल्ली में जनता को जिसकी जरूरत थी उसे केजरीवाल ने मुफ्त में दे दिया. इसका मतलब यह नही कि देश के अन्य राज्य में भी ऐसा ही होगा. उन्होंने कहा कि बिहार तो वैसे भी गरीब राज्य है. हालांकि यहां भी मुफ्त साइकिल योजना चलायी गयी.

मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने भी मुफ्त में लैपटाप देने की बात कही थी. राजद नेता ने कहा कि भाजपा जिस ऐजेन्डे को लेकर देश में चल रही थी वो अब फेल होने लगी है. यही वजह है कि दिल्ली में विकास का मुद्दा ही केजरीवाल को चुनाव जीता रहा है.

क्या बिहार में चलेगी ‘मुफ्त’ की राजनीति?

बहरहाल 2020 के अक्टूबर-नवंबर में बिहार में भी चुनाव होने है. जाहिर है दिल्ली चुनाव के बाद पूरे देश की नजर बिहार चुनाव पर ही रहेगी. क्योंकि 2015 में लालू प्रसाद के साथ मिलकर चुनाव जीतने वाले नीतीश कुमार, इस बार के चुनाव में पुराने साथी भाजपा के साथ नजर आयेंगे.

इसके अलावा 2015 के चुनाव प्रचार की कमान खुद लालू प्रसाद यादव ने संभाल रखी थी. लेकिन इस बार वो भ्रष्टाचार के मामले में जेल के अंदर सजा काट रहे हैं. ऐसे में बिहार में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त का बाजार किस तरह सजाया जाता है. यह देखना दिलचस्प होगा.

Input : News18

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