स्वास्थ्य योजनाओं की सफलता आम व्यक्तियों की सहभागिता पर निर्भर करती है। सामाजिक भ्रांतियाँ एवं प्रथाएं स्वास्थ्य योजनाओं के कुशल क्रियान्वयन में बाधक तो होती ही हैं, साथ ही योजनाओं के लाभ लेने से लोगों को वंचित भी करती है। गर्भवती एवं किशोरियों में खून की कमी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ खड़ी करती है। जिसके लिए सरकार ने गर्भवती महिलाओं एवं किशोरियों के लिए आयरन की गोली देने का प्रावधान भी किया है। लेकिन कांटी प्रखंड के पासवान टोले की गर्भवती महिलाएं एवं किशोरियाँ कुछ भ्रांतियों के कारण आयरन की गोली का सेवन नहीं करती थी। इन तमाम भ्रांतियों एवं पुरानी प्रथाओं के कारण कुपोषण पर लगाम लगाना मुश्किल हो रहा था। ऐसी परिस्थितियों में पासवान टोले की आँगनबाड़ी केंद्र 160 की सेविका सरिता इस गाँव के लिए नयी उम्मीद साबित हुयी। सरिता देवी के निरंतर कोशिशों से तस्वीर बदल चुकी है। अब इस गाँव की गर्भवती महिलाएं एवं किशोरियाँ आयरन की गोली का नियमित सेवन कर रही हैं। साथ ही महिलाएं अब आयरन की दवा की माँग भी करती हैं। यह बदलाव काफी संघर्ष पूर्ण रहा है, जिसमें सरिता देवी का महत्वपूर्ण योगदान है।
सामाजिक भ्रांतियाँ बनी बाधक: आयरन की गोली खाने से बच्चा काला पैदा होगा। किशोरियों ने यदि सेवन किया तब वह भविष्य में कभी माँ नहीं बन पाएगी। कुछ ऐसी ही भ्रांतियाँ पासवान टोले में फैली थी। शुरुआती दौर में सरिता देवी को भी इनका सामना करना पड़ा। महिलाओं एवं किशोरियों को आयरन की गोली का सेवन करने की सलाह देने पर कई बार सरिता देवी को गंभीर विरोध भी झेलना पड़ा।
जागरूकता को बनाया हथियार: तमाम विरोधों के बाद भी सरिता देवी ने हार नहीं मानी। पहले तो उन्होंने गाँव की महिलाओं को एक मंच पर लाने की पहल की। इसके लिए घर-घर जाकर लोगों को बैठक में शामिल होने की बात बताई। यह प्रयास सफ़ल रहा। महिलाओं एवं किशोरियों ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक के जरिए खून की कमी के कारणों पर चर्चा की। सरकार द्वारा इसके लिए प्रदान की जाने वाली सेवाओं के विषय में बताया। ख़ून की कमी के कारण महिलाओं एवं किशोरियों में होने वाली संभावित जटिलताओं को विस्तार से बताया। साथ ही इन जटिलताओं से बचने के लिए आयरन की गोली के सेवन पर बल दिया।
बेटी को दवा खिलाकर थोड़ी भ्रांति: कई बैठकों के जरिए सरिता देवी ने गर्भवती महिलाओं एवं किशोरियों को आयरन की दवा की उपयोगिता के बारे में बताया। इतने प्रयासों के बाद भी कई किशोरियों एवं महिलाओं पुरानी भ्रांतियाँ को तोड़ नहीं पा रही थी। इसे देखते हुए सरिता देवी ने नयी तरकीब निकाली। उन्होंने बैठक में अपनी बेटी को आयरन की गोली का सेवन कराया एवं लोगों को यह संदेश दिया कि यह बिल्कुल सुरक्षित है। यह तरकीब बेहद कारगर साबित हुई। आयरन गोली के सेवन के संबंध में भ्रांतियाँ दूर हुई हैं। अब महिलाएं एवं किशोरियाँ आयरन की दवा के सेवन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। ग्रामीण महिलाओं में सुनीता देवी के प्रति विश्वास बढ़ा है। जिससे अन्य सरकारी योजनाओं में भी गाँव के लोगों की सहभागिता बढ़ी है।
सिरसिया पंचायत के मुखिया नवीन ठाकुर ने भी कहा सरिता का कार्य काफी सराहनीय रहा है। सरिता के अच्छे और समाज मे बदलाव लाने वाले कार्यो के कारण ही मैं हमेशा इनके साथ खड़ा रहा हूँ।
परिवर्तन लाने के लिए धैर्य जरूरी : सरिता देवी ने बताया इस गाँव के लोगों के साथ वह पिछले लगभग 20 सालों से जुड़ी है। इतने वर्षों में बहुत बदलाव आया है। इसके साथ कई मौकों पर विरोध भी झेलना पड़ा है। लेकिन बदलाव की चाहत ने उनके धैर्य को कायम रखा। उन्होंने बताया पोषण माह में भी महिलाएं बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। सरिता देवी के प्रयास एवं गाँव के लोगों की सहभागिता के कारण ‘ हर घर पोषण त्योहार, हर घर पोषण व्यवहार’ का सपना साकार होता दिख रहा है।