नई दिल्ली/बेंगलुरु. कर्नाटक में पिछले दिनों बफेलो रेस (भैंसा दौड़) में रिकॉर्ड बनाने वाले श्रीनिवास गौड़ा (28) का सोमवार को स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के कोच ट्रायल लेंगे। गौड़ा ने पारंपरिक खेल ‘कम्बाला रेस’ में 13.62 सेकंड में 142.50 मीटर दूरी तय की थी। इस दौरान उनकी स्पीड 100 मीटर में दुनिया के सबसे तेज धावक जमैका के उसैन बोल्ट से 0.03 सेकंड ज्यादा थी। बोल्ट के नाम ओलिंपिक रेस में 9.58 सेकंड का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। गौड़ा की इस उपलब्धि पर सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें बेहतर ट्रेनिंग देने और ओलिंपिक में भेजने की मांग सरकार से कर रहे थे।
केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने शनिवार को कहा, ”मैंने और साई के अधिकारियों ने श्रीनिवास को फोन किया है। उनका रेल टिकट हो चुका है। सोमवार को साई सेंटर में हमारे सीनियर कोच गौड़ा का ट्रायल लेंगे। ज्यादातर लोगों में ओलिंपिक खासकर एथलेटिक्स के बारे में कम जानकारी है। इसमें इंसान की ताकत और धैर्य दोनों परखा जाता है। मैं सुनिश्चित करुंगा कि भारत में कोई भी प्रतिभा बिना जांच के नहीं रहे।’’
श्रीनिवास की तुलना उसैन बोल्ट से की जा रही
दक्षिण कन्नड़ जिले में मूदाबिदरी के रहने वाले श्रीनिवास की हर तरफ चर्चा है। कम्बाला में रिकॉर्ड बनाने के बाद लोग उनकी स्पीड का आकलन कर रहे हैं। दूरी और समय के हिसाब से 100 मीटर में श्रीनिवास की स्पीड 9.55 सेकंड निकलकर सामने आ रही है, जो बोल्ट से 0.03 सेकंड तेज है। हालांकि, सीधे बोल्ट के रिकॉर्ड से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। क्योंकि श्रीनिवास भैंसों के जोड़े के साथ कीचड़ में दौड़ रहे थे।
श्रीनिवास को ओलिंपिक में भेजने की मांग
श्रीनिवास की काबिलियत को देखते हुए सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें ओलिंपिक में भेजने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार श्रीनिवास को ट्रेनिंग दिलाने की व्यवस्था करे। जीतने के बाद श्रीनिवास ने कहा कि पारंपरिक खेल में रिकॉर्ड बनाकर मुझे काफी तारीफ मिल रही है। मुझे कम्बाला पसंद है। इसका श्रेय मेरे दोनों भैंसों को जाता है। वे बहुत तेज दौड़े और मैं उनके पीछे लगातार दौड़ता रहा।
मध्य प्रदेश में भी ऐसा एक मामला सामने आया था
मध्य प्रदेश के शिवपुरी के 24 साल के रामेश्वर गुर्जर पिछले साल अगस्त में नंगे पैर दौड़ कर सुर्खियों में आए थे। रामेश्वर का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें उन्हें नंगे पैर 100 मी. की दौड़ 11 सेकंड में पूरी करते हुए दिखाया गया था। रिजिजू ने रामेश्वर का वीडियो देखने के बाद उन्हें बुलाया था। प्रदेश सरकार ने भोपाल स्पोर्ट्स एकेडमी में बुलाकर उनका टेस्ट लिया था।
क्या है कम्बाला रेस?
कम्बाला रेस या बफेलो रेस कर्नाटक का पारंपरिक खेल है। मंगलौर और उडूपी में यह काफी प्रचलित है। कई गांवों में इस खेल का आयोजन होता है। इस दौरान कीचड़ वाले इलाके में युवा जॉकी दो भैंसों के साथ दौड़ लगाते हैं। जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने कुछ साल पहले कम्बाला के खिलाफ मोर्चा खोला था। उनका आरोप था कि जॉकी बल प्रयोग कर तेज दौड़ने के लिए भैंसों को मजबूर करता है। इसके बाद पारंपरिक खेल पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुआई में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस खेल को जारी रखने के लिए बिल पारित कराया था।
Input : Dainik Bhaskar