हाल ही में गोवाहाटी हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल ऑफ असम द्वारा विदेशी घोषित की गई एक महिला की याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि जमीन के कागजात, पैन कार्ड और बैंक डॉक्यूमेंट से नागरिकता साबित नहीं होती। जस्टिस मनोजीत भुयान और जस्टिस पार्थिवज्योति साइकिया ने जबेदा बेगम की याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि वह अपने बताए गए माता पिता और भाई से संबंध को साबित नहीं कर सकी है।

कोर्ट के आदेश में बताया गया कि असम में नागरिकता साबित करना किस तरह अलग है। ये इकलौता ऐसा राज्य है जहां 1951 में एनआरसी तैयार हुआ था और बीते साल अपडेट हुआ है। बीते साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पांच सालों की प्रक्रिया के बाद असम का एनआरसी अपडेट कर पब्लिश किया गया जहां 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख आवेदकों के नाम बाहर हो गए। असम में नागरिकता साबित करने के लिए आवेदक को 24 मार्च 1971 से पहले के 14 में से कोई भी ऐसा दस्तावेज जमा करना होगा जिसमें उनका नाम या उनके पूर्वजों का नाम हो जिससे असम में उनकी नागरिकता साबित होती हो।

इनमें 1951 NRC, 24 मार्च 1971 तक की मतदाता सूची, भूमि और किरायेदारी रिकॉर्ड, नागरिकता प्रमाणपत्र, स्थायी निवासी प्रमाण पत्र, शरणार्थी पंजीकरण प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, बीमा पॉलिसी, सरकार द्वारा जारी लाइसेंस या प्रमाण पत्र, रोजगार का प्रमाण, बैंक या डाकघर के खाते, जन्म प्रमाण पत्र, शिक्षा प्रमाण पत्र या कोर्ट रिकॉर्ड के दस्तावेज शामिल किए गए हैं।

इसके अलावा, दो और दस्तावेज आवेदकों द्वारा जोड़े जा सकते हैं जिसमें सर्किल अधिकारी या ग्राम पंचायत सचिव द्वारा विवाह के बाद पलायन करने वाली महिलाओं (24 मार्च, 1971 से पहले या उसके बाद) को जारी किए गए प्रमाण पत्र और 24 मार्च, 1971 से पहले जारी किए गए राशन कार्ड शामिल हैं। लेकिन ये दोनों दस्तावेज तभी मान्य होंगे जब आवेदकों के पास ऊपर सूचीबद्ध 14 दस्तावेजों में से एक पहले से हो।

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