अपने पुराने रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) से निबटने के लिए जनता दल यूनाइटेड (JDU) की रणनीति यह बनी है कि उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाए, लेकिन प्रतिक्रिया से परहेज किया जाए। यही वजह है कि एक दिन पहले प्रशांत किशोर (PK) पर हमलावर रूख रखने वाले पार्टी के नेता और प्रवक्ता बुधवार को खामोश रहे। केवल जेडीयू नेता व मंत्री नीरज कुमार (Neeraj Kumar) ने उन्‍हें राजनीतिक पर्यटक (Political Tourist) बताते हुए कहा कि ऐसे लोगों के बारे में क्‍या बोलना।

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उधर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) दूसरे दिन भी हमलावर रही। पार्टी  के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल (Dr. Sanjay Jaiswal) ने खुद मोर्चा संभाल लिया है।

मोदी-नीतीश के खिलाफ जमकर बोले थे प्रशांत

विदित हो कि जेडीयू ने निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर ने मंगलवार को संवाददाता सम्‍मेलन कर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) तथा राज्‍य की नीतीश सरकार (Nitish Government) पर हमला बोला। उन्‍होंने आंकड़ों के माध्‍यम से बिहार के विकास (Development) के दावों पर सवाल खडे किए तथा बीजेपी व जेडीयू की दोस्‍ती पर तंज कसते हुए कहा कि गांधी (Gandhi) व गोडसे (Godse) एक साथ नहीं चल सकते। प्रशांत किशोर ने सत्‍ताधारी राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) व नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की जमकर आलोचना की। इसके बाद मंगलवार को जेडीयू ने भी पलटवार किया, लेकिन पार्टी बुधवार को चुप है।

बयान को अधिक तरजीह नहीं देने के मूड में जेडीयू

वैसे, जेडीयू ने मंगलवार को भी प्रशांत किशोर को अधिक तरजीह नहीं दी थी। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह (RCP Singh) और लोकसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) ने अपनी प्रतिक्रिया में प्रशांत किशोर का नाम लेने से बचने की कोशिश की। आरसीपी सिंह पहले भी उनका नाम नहीं लेते थे। इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया।

मंत्री ने कसा तंज- वे तो बस राजनीतिक पर्यटक

सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने भी बुधवार को प्रशांत किशोर का बिना नाम लिए टिप्पणी की। कहा, बिहार में बड़ी संख्या में पर्यटक (Tourist) आते हैं। धार्मिक, प्राकृतिक से लेकर कई तरह के पर्यटक आते हैं। नया अध्याय राजनीतिक पर्यटन (Political Tourism) का जुड़ गया है। कुछ लोग राजनीतिक पर्यटन के लिहाज से भी आते हैं। ऐसे लोगों पर क्या टिप्पणी करें? आज यहां हैं, कल कहीं और रहेेंगे। बिहार के नेता नीतीश कुमार हैं। हमलोग किसी और को नहीं जानते हैं।

आम जनता के सवाल में ही मिलता जवाब

असल में जेडीयू को राहत इस बात से मिल रही है कि प्रशांत किशोर की सरकार विरोधी टिप्पणी का जवाब आम लोगों के इस सवालों में मिल रहा है कि इतने दिनों तक आप कहां थे? मालूम हो कि प्रशांत किशोर पिछले महीने तक जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। वे मुख्यमंत्री (Chief Minister) नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की तारीफ करते नहीं थकते थे। विधानसभा चुनाव 2015 (Assembly Election 2015) में उन्होंने ही यह नारा गढ़ा था- बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अधिक चर्चा का मतलब है उन्हें प्रचार देना। हम नहीं चाहते कि उन्हें नाहक प्रचार मिले।

Input : Dainik Jagran

 

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