बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने अपने बारे में ऐसी बात बताई जिसे सुनकर पूरा पुलिस महकमा हैरान रह गया। डीजीपी ने अपने जीवन का ये बड़ा खुलासा छात्रों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में किया। इस खुलासे से जहां कार्यक्रम में मौजूद पुलिस विभाग के अधिकारी सहित पुलिसकर्मी भौंचक रह गए तो वहीं पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
दरअसल, बुधवार को डीजीपी गुप्तेश्व पांडेय से पटना के पुलिस मुख्यालय ऑडिटोरियम में छात्रों का हुजूम गुरु मंत्र लेने पंहुचा था। जिसमें शामिल होकर डीजीपी काफी प्रसन्न दिखे और छात्रों को अपने जीवन से संबंधित ढेर सारी बातें बतायीं और उन्हें मोटिवेट किया। डीजीपी ने कहा कि मैं 11 वीं में तो फेल हो गया था, लेकिन उसके बाद डीजीपी भी बन गया।
पुलिस अधिकारी से इतर बच्चों के गुरु बने डीजीपी ने बुधवार को छात्रों के साथ बहुत देर तक बात की। छात्रों के लिये खास तौर से डीजीपी के इस क्लास का आयोजन किया गया था। शिक्षक बने डीजीपी साहब ने भले ही खाकी वर्दी पहन रखी थी, लेकिन उनकी भूमिका केवल और केवल गुरु के रूप में दिखी।
गुरु मंत्र देने वाले डीजीपी ने साफगोई के साथ जब सच्चाई बयां करना शुरू किया तब हॉल में बैठे सैकड़ों छात्र तालियां बजाने को मजबूर हो गये। डीजीपी ने अपने जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई का खुलासा करते हुए बताया कि वे औसत से भी नीचे के छात्र थे और ग्यारहवीं में फेल कर गये थे।
डीजीपी ने कहा कि मेरे फेल होने करने का कारण था फिजिक्स, केमिस्ट्री जैसे विषयों में कम जानकारी का होना। गुप्तेश्वर पांडेय ने यह भी खुलासा किया कि छठी कक्षा तक उन्हें अग्रेजी के लेटर तक का ज्ञान नहीं था।
डीजीपी ने कहा कि उनकी बातों को सकारात्मक रूप में लिया जाये। डीजीपी का कहना है कि उन्होंने छात्रों से यह बात इसलिये बताई, क्योंकि जब उनके जैसा औसत से भी निम्न छात्र डीजीपी बन सकता है तो आज के होनहार छात्र मेहनत के बल पर क्या नहीं हासिल कर सकते हैं?
डीजीपी की क्लास और गुरुमंत्र से वहां मौजूद 500 से अधिक छात्र-छात्राओं को इस कदर प्रभावित कर चुके थे कि हर एक छात्र अब गुप्तेश्वर पांडेय बनने का संकल्प ले चुका था। बहरहाल डीजीपी ने जिस सच्चाई के साथ जीवन के फलसफे को छात्रों के सामने रखा वैसे में छात्रों का अभिभूत होना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है।