दिल्ली हिं/सा में उ/पद्रवियों के हा/थों जा/न गं/वाने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल के परिजनों की मदद के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर लोग आगे आए हैं। आईपीएस ऑफिसर अरुण बोथरा ने रतनलाल की पत्नी पूनम का बैंक अकाउंट डिटेल शेयर की है। ट्विटर पर कई यूजर्स ने बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने की तस्वीर शेयर कर रहे हैं।

25 फरवरी को अरुण बोथरा ने ट्वीट किया, यहां कई दोस्तों ने हेड कांस्टेबल रतनलाल के परिवार की मदद के लिए रास्ता पूछा है। मैं उनके संपर्क में हूं। जल्द ही ब्योरा साझा करूंगा। शहीद पुलिसकर्मी के परिजनों के साथ खड़े होने के लिए आप सभी का धन्यवाद। इसके बाद 28 फरवरी को आईपीएस अरुण बोथरा ने बैंक अकाउंट डिटेल को साझा किया।

रतनलाल के परिजनों को दिल्ली सरकार देगी एक करोड़ रुपये

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बुधवार (26 फरवरी) को घोषणा की है कि हेड कांस्टेबल रतनलाल के परिवार को दिल्ली सरकार एक करोड़ रुपये का मुआवजा देगी। केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में कहा, ‘‘दिल्ली सरकार की नीति के अनुसार हम हेड कांस्टेबल रतनलाल के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देंगे।’’

24 फरवरी को मौजपुर में थी रतन लाल की तैनाती

24 फरवरी को एसीपी गोकलपुरी अनुज कुमार अपने ऑपरेटर रतनलाल के साथ मौजूद थे। इस दौरान डीसीपी शाहदरा अमित शर्मा भी पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे। इसी दौरान भीड़ के हमले में रतनलाल की मौत हो गई जबकि डीसीपी अमित शर्मा और एसीपी अनुज कुमार घायल हुए थे।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार रतनलाल के बाएं हाथ में लगी गोली

रतनलाल के परिजनों के अनुसार कि जब भीड़ ने हमला किया तो डीसीपी अमित शर्मा के सिर में चोट लग गई और वह घायल होकर नीचे गिर गए। जब डीसीपी को उठाने रतनलाल झुके तो डीसीपी की तरफ चलाई गई गोली उन्हें लगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार बाएं हाथ में गोली लगी जो सीने को पार करते हुए दूसरी तरफ से निकल गई। यही रतनलाल के मौत की वजह बनी। इससे पहले माना जा रहा था कि रतनलाल की मौत की वजह पत्थर लगना है क्योंकि उनके सिर में चोट लगी थी।

राजस्थान के सीकर के रहने वाले थे रतनलाल

राजस्थान के सीकर के रहने वाले रतन लाल सिर्फ 20 साल की उम्र में दिल्ली पुलिस में साल 1998 में भर्ती हुए। वर्तमान में एसीपी गोकुलपुरी के ऑफिस में तैनात थे। दिल्ली में वह बुराड़ी के अमृत विहार इलाके में रहते थे। रतन लाल हमेशा अपनी ड्यूटी को तरजीह देते थे। सोमवार (24 फरवरी) को बुखार होने वाले बावजूद 42 साल के रतन लाल ने ड्यूटी पर जाना जरूरी समझा। इसी दौरान दिल्ली में भड़की हिंसा में उन्हें उपद्रवियों के हाथों जान गंवानी पड़ी। रतन लाल की मौत की खबर सुनते ही उनके परिजन रोते-बिलखते बार-बार यही कह रहे थे और वह ड्यूटी पर नहीं जाते आज हमारे बीच होते।

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.

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