पटना। राज्यसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। नौ अप्रैल को बिहार से खाली होने वाली पांच सीटों में से राजद के हिस्से में दो सीटें आने वाली हैं। दावेदार कई हैं। किंतु लालू प्रसाद को घर-परिवार के साथ ही राजद का भविष्य भी देखना है।

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चुनावी साल में एक साथ कई तरह के समीकरण साधने की कोशिश में लालू मुश्किल में दिख रहे हैं। राजद प्रमुख जिन दो नामों की लॉटरी निकाल देंगे, उन्हें 12 मार्च को नामांकन करने का मुहूर्त भी तय कर लिया गया है।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की पसंद चलेगी, लेकिन लालू की सहमति के बिना कुछ नहीं होगा। तेजस्वी दिल्ली में हैं। माना जा रहा है कि नाम फाइनल करके वह आज-कल में लालू प्रसाद से मशविरा करेंगे। उसके बाद तय दावेदारों को बता दिया जाएगा कि तैयारी कीजिए। अभी दो-दो सेट में नामांकन पत्र तैयार किया जा रहा है।

सवाल उठता है कि दो प्रमुख दावेदार कौन हैं? फार्मूला सीधा है। एक परिवार से और दूसरा बाहर से। बाहर वालों में प्रेमचंद गुप्ता का नाम सबसे ऊपर है। दशकों का साथ जो ठहरा। पिछली बार उन्हें झारखंड से भेजा गया था। अबकी उनका टर्म खत्म होने वाला है।

सामाजिक समीकरण और तेजस्वी के नए जमाने की राजनीति के मुताबिक सवर्ण कोटे पर भी विचार किया जा रहा है। इसपर अगर सहमति बनी तो रघुवंश प्रसाद सिंह के नाम से लॉटरी निकल सकती है। लाइन में और भी हैं। किंतु सबकी दावेदारी मजबूत नहीं है।

अब परिवार की बात…..

तेजप्रताप यादव की मंशा उच्च सदन में जाने की है। वह विधानसभा चुनाव नहीं लडऩा चाहते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि अबतक सुनवाई नहीं हो सकी है। लालू के संकेत का इंतजार है। कुछ भी हो सकता है। तेजप्रताप का दावा खारिज भी हो सकता है। ऐसा हुआ तो परिवार का कोटा भी बाहर वालों की झोली में आ जाएगा। चुनावी साल में ऐसे आसार को खारिज नहीं किया जा सकता है।

वादे हैं, वादों का क्या

लोकसभा चुनाव के दौरान राजद ने गठबंधन के तहत कांग्र्रेस को नौ सीटों पर समेटते हुए राज्यसभा की भी एक सीट देने का आश्वासन दिया था। राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वादा किया था। हालात बता रहे हैं कि राजद अपना वादा पूरा नहीं करने जा रहा है। क्योंकि नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद कांग्र्रेस को अभी तक सूचना नहीं दी गई है।

राज्यसभा में प्रत्येक सीट पर जीत के लिए 41-41 विधायकों की जरूरत है। 243 सदस्यों वाली विधानसभा में राजद के पास 81 विधायक हैं। एक सदस्य की कमी पड़ेगी, जिसे तीन सदस्यों वाली भाकपा माले के जरिए पूरा किया जा सकता है। वैसे भी कांग्र्रेस कहां जाएगी? बिहार में दशकों का साथ जो है।

Input : Dainik Jagran

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