– देश के साथ-साथ बिहार वाले भी कोरोना के चपेट में है , फिर भी कुछ लोगो ने क़सम खा रखी है, कि हम नही सुधरेंगे, न सुधरने वाले थेथर लोग सावधान रहें क्योंकि उन्हें जल्द ही अपने कंधों पर अपनों की लाश उठानी पड़ सकती है.

जी हाँ हम इतने सख़्त शब्दो में इसलिये लिख रहे है क्योंकि मामला बहुत गंभीर है, इसका खामियाजा आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा, आप आज स्वस्थ है तो ये जरूरी नही है कि आप कल भी ठीक हो क्योंकि कोरोना के सिम्पटम 14 दिनों में दिखते है और ये वक़्त कभी भी आ सकता है.

जो समाज के दुश्मन रोड पर अब भी निकल रहे है उन्हें देखकर गुस्सा आता है कि आख़िर ये बिहारी कभी नहीं सुधर सकते है, हमे समझना होगा कि हमने पहले ही देर कर दी है, हमारे राज्य में मरीजों के मिलने का सिलसिला शुरू हो चुका है, और ये सिलसिला तबतक नहीं रुकेगा जबतक आप अपने घरों में नही रुकेंगे.

आपको लाश नहीं उठाना पड़े इसलिये प्रशासन को लाठी उठाना बहुत जरूरी है, ना जाने कौन से ये लतखोर लोग है, जो मार से भी नहीं डर रहे और खुद के साथ साथ समाज को भी संक्रमण के खतरों में डालने के लिये बाहर निकल रहे है, जरूरत का सामान लेने का समझ मे आता है, लेकिन अपनी आवश्यकताओं को भी कम करने का यही समय है जब आप जीवित नहीं ही रहेंगे तो क्या जरूरी है, उन जरूरत के सामानों का, दाल चावल खा कर भी कुछ दिन जिंदगी काटी जा सकती है, जरूरी नहीं कि सब्जी से ही पेट भरे.

चाय के लिये दूध लेना कितना जरूरी है, क्या आपके अपनों के जान से ज्यादा जरूरी है क्या, जरूरत के दाल, चावल और आटा को घर मे रख ले बाकी चीज़ो को भुल जाए, सब्जी औऱ दूध लेने भी तभी जाए जब आपके लिये ये लेना बहुत जरूरी हो, दूध बच्चों के लिये बहुत जरूरी है अगर आपके घर मे बच्चें नही है तो दूध भी नहीं लेने जाये, आप आने वाले कल के खतरों को समझियेगा ज़रा विचार कीजियेगा, चीख और चीत्कारता कल देखना चाहते है या जरूरत को कम कर के आज जीना चाहते है.

कुछ बिहारी चाय पीने के लिये दूध- दूध करते रहते है, सोचिये क्या आपको चाय आपके घरवालो से ज्यादा प्रिय है, क्यों संक्रमण का ख़तरा उठा रहे है, बाहर तभी निकले जब अधिक जरूरी हो, क्या अधिक जरूरी है ये निर्णय आपको करना है हमे तो बस आपको सचेत करना था.

रोड पर सन्नाटा देखने जो निकल रहे है ,ध्यान रहे ये सन्नाटा आपके घर तक भी पहुँच सकता है, तब पछताने से कुछ नहीं होगा जब चिड़िया खेत चुग जाएगी, तब माथा पीटने से भी कुछ नहीं होगा जब आपके अपने मौत की नींद सो जाएंगे आपका परिवार तबाह हो जाएगा, तबतक घर मे रहे जबतक लौकडाउन है, स्तिथि की गंभीरता को समझे और आने वाले कल से डरे क्योंकि डरना जरूरी है, न डरने वाले अपनों की चिता जलाने को तैयार रहे, ये कोरोना मौत का नंगा नाच है, ईटली और चीन में कई परिवार तबाह हो गए, आप सचेत नहीं हुए तो अगला नंबर आपका भी हो सकता है.

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...