जयपुर. कोरोना के कहर से चीन को महज 10 दिन के अंदर 1000 बेड का अस्पताल बनाना पड़ा था। भारत में भी कोरोना के मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। ऐसे में अस्पतालों पर बढ़ते बोझ को देखते हुए दैनिक भास्कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अपील करता है कि कोरोना से लड़ने के लिए क्यों न हम यार्ड में बेबस खड़ी कुछ विशेष ट्रेनों को ही अस्थायी अस्पताल में तब्दील कर दें। क्योंकि यहां बेड हैं, टॉयलेट हैं और इन्हें कहीं लाना-ले जाना भी बेहद आसान है। साथ ही अन्य सुविधाएं भी मौजूद हैं। ट्रेनों में फर्स्ट एसी और सेकेंड एसी के डिब्बे इसके लिए सबसे उपयुक्त हो सकते हैं।

यही नहीं, इन डिब्बों का इस्तेमाल आइसोलेशन वार्ड के रूप में भी किया जा सकता है। चूंकि, देशभर में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन घोषित हो चुका है। ऐसे में ये खाली ट्रेनें महामारी से लड़ने में बड़ा हथियार साबित हो सकती हैं। वैसे भी अगर देश में कोई बड़ी आपदा आती है तो घायलों को लाने, ले जाने और प्राथमिक उपचार देने के लिए ट्रेनों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। ऐसे में कोरोना रिलीफ ट्रेनें क्यों नहीं तैयार की जा सकतीं। बीकानेर मंडल के सीनियर डीओएम सुनील महला का कहना है कि ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो उस पर विचार किया जा सकता है।

राहत सामग्री के लिए गुड्स ट्रेनें चलाने को कमर कस चुका रेलवे

सुनील महला ने कहा कि जरूरत पड़ी ताे मेडिकल रिलीफ ट्रेन भी चलाई जा सकती है। साथ ही राहत सामग्री काे इधर-उधर भिजवाने के लिए गुड्स ट्रेनें भी चलाने के लिए पूरे इंतजाम कर लिए गए हैं। बात रही रिलीफ ट्रेन की ताे उसमें करीब आठ बेड, एक ऑपरेशन थिएटर, प्राथमिक उपचार का सारा सामान है। मरीज काे शिफ्टिंग के लिए ट्रेन का उपयाेग किया जाता रहा है। अगर आवश्यकता पड़ती है ताे रेलवे तमाम संसाधनाें का उपयाेग राहत कार्य में लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

कोरोना से जंग में आप भी अपने सुझावों के जरिए भागीदारी निभाएं

अगर आप ट्रेनों को अस्थायी अस्पताल में तब्दील करके कोरोना से लड़ने के विचार से सहमत हैं या आपके पास कोई सुझाव है तो हमें वॉट्सएप नंबर- 9340931508 पर भेजें। हम आपके सुझाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचाएंगे। घर में रहें, सुरक्षित रहें…

Input : Dainik Bhaskar

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