– देश ही नहीं पूरा विश्व संकट की घड़ी में है, भारत में कोरोना के पांव पसारते ही 21 दिन का सम्पूर्ण लॉकडाउन लग चुका है, भारत सरकार और राज्य सरकारों ने सही मायने में ये लॉकडाउन आम जनता के लिये ही लगाया है लेक़िन कुछ मजदूर और प्रवासी लोग इस लॉकडाउन में बाहर फंस गए है, मुसीबत की इस घड़ी में उन्हें खाने पीने और रहने की समस्या हो रही है इसकी सूचना ये लोग लगातार मुजफ्फरपुर नॉउ से भी साझा कर रहे है, कुछ लोग बाबा खाटू श्याम की दर्शन के लिये बाहर गए थे वो भी वहीं फंस गये उन्होंने भी वीडियो जारी किया है.

सरकार और प्रशासन भी धीरे धीरे पहले से अधिक सज़ग हुआ है, तमाम जगहों पर भोजन की समुचित व्यवस्था कराई जा रही है, मुजफरपुर समेत हर राज्यों में भोजन की व्यवस्था की जा रही है ताकि बाहर फंसे लोग को भोजन कराया जा सके, लेकिन मुश्किल के इस वक्त में यात्रा करना संभव नहीं है जो जिस जगह पर है उसे उसी जगह पर तबतक रहना है जबतक लॉकडाउन की स्थिति चल रही है.

कुछ मज़दूर दिल्ली और जयपुर से पैदल बिहार की ओर चल चुके है, वो लगातार चले जा रहे है सरकार उनतक पहुँचने का भी प्रयास कर रही है, ये आपातकाल की स्तिथि है अचानक सब कुछ संभल जाना संभव नही है, जो संभव है वो बस इतना ही कि हम धैर्य और विवेक से काम ले, अपनी सजगता और जिम्मेदारी का हमें एहसास हो हम परिस्थितियों से वाकिफ हो.

दिल्ली सरकार ने भी सरकारी स्कूलों में 4 लाख लोगों के भोजन की व्यवस्था को सुनिश्चित किया है, संकट के घड़ी में अनाज की दिक्कत न हो इसलिये केंद्र सरकार ने ग़रीबो को 10 किलो चावल या गेंहू देने का फैसला लिया है जो कि लागू भी हो चुका है. केंद्र सरकार ने 1 लाख 70 हज़ार करोड़ का पैकेज बस कोरोना महामारी से लड़ने पर खर्च किया है, इस संकट की घड़ी में सब सुनसान पड़ा है, प्रशासन देर सवेरे हर जगहों पर पहुँच रही है , राज्य , केंन्द्र और जिला स्तर पर सभी प्रकार के हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया गया है, जो लोग बाहर फंसे है वो निराश ना हो प्रसाशन तक पहुँचने का हर भरसक प्रयास करें, लेकिन जबतक लौकडाउन की स्तिथि है तबतक अपने गांव आने की जिद ना करे जिस भी स्थान पर आप है वहीं रहे और प्रशानिक मदद के लिए हर भरसक प्रयास करे.

 

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...